पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारीयान
निसंदेह तेरी कृपा सारी चीज़ो को घेर रखा है, और तेरी अनंत शक्ति सारी चीज़ो पर ग़ालिब है, केवल तेरा ही पवित्र असतित्व है जिसकी शक्ति के आगे सभी चीजे ज़लील एंव ख्वार है, इसीलिए उसके लिए यह कार्य सरल है कि अपने उस सेवक की प्रार्थना को स्वीकार कर ले जो सच्ची नियत तथा विनम्रता के साथ रोते और गिड़गिड़ाते हुए पवित्र गरूवार रात्रि मे प्रार्थना कर रहा हो, तथा उसके लिए बहुत अधिक सरल है कि वह अपने सेवक की आवश्यकता को पूरा करने हेतु आकाश एंव पृथ्वी पर उपस्थित अपनी सेना को उसकी सहायता के लिए भेजे ताकि वह उसको लोक परलोक के उद्देश्यो तक पहुंचा दें।
जो व्यक्ति तवाज़ो एंव इनकसारी के साथ उसकी दया एंव शक्ति के माध्यम से पुकार रहा हो तथा उसकी दया एंव क्षमता के अलावा कोई दूसरी दया एंव शक्ति उसकी निगाहो मे ना हो, तो क्या उसकी प्रार्थना का स्वीकृति के द्वार से ना टकराना सम्भव है? कदापि नही।
कमज़ोर एंव शक्तिहीन प्राणी उसकी आवश्यकताओ को पूरा नही कर सकता तथा प्रार्थना करने वाले की प्रार्थना को स्वीकार नही कर सकता किन्तु केवल वह ग़नी है तथा व्यापक दया और सम्पूर्ण शक्ति का मालिक है जिसके अधिकार मे सारी वस्तुए है अपने सेवको की मसलहत तथा अपनी हिकमत के आधार पर अपने सेवको की प्रार्थनाए स्वीकार करता है और मांगने वालो की झोली भर देता है।
जारी