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हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.) के पवित्र कथन 2

तीन गुण, मित्र बनाते हैं, धर्मपरायणता, विनम्रता और दानशीलता। 

लोगों के कार्यों की टोह में न रहो अन्यथा तुम बिना मित्र के हो जाओगे। 

यदि मनुष्य का मन पवित्र हो जाए तो उसका व्यवहार मज़बूत हो जाता है। 

जो बात एक से दो तक पहुंची, उससे सब अवगत हो जाएंगें। 

कभी भी लोगों की आस्थाओं के बारे में खोजबीन न करो कि इस प्रकार तुम अकेले पड़ जाओगे। 

जिस ज्ञान का प्रसार न किया जाए वह उस दीपक की भांति है जिसे ढांक दिया जाए। 

 आज संसार में वह कार्य करो जिसके माध्यम से तुम्हें प्रलय में कल्याण की आशा हो। 

 लोगों के काम की टोह में न रहो अन्यथा तुम बिना मित्र के रह जाओगे। 

 भले काम रोज़ी में वृद्धि करते हैं। 

जो भी अत्याचार की तलवार खींचता है उसी तलवार से मारा जाता है। 

जिसने किसी मोमिन को उसके पाप के लिए बुरा-भला कहा वह उस समय तक नहीं मरता जब तक वही पाप स्वयँ नहीं कर लेता। 

लोगों की टोह में न रहो उन्यथा तुम्हारा कोई मित्र नहीं रह जाए गा। 

जिसे ईश्वर और प्रलय के दिन पर विश्वास है उसे अपने वचन का पालन करना चाहिए। 

अधिक अद्ययन और ज्ञान की खोज में लगे रहना बुद्धि के खुलने और सोच-विचार की घति में वृद्धि का कारण बनता है। 

जिसने अपने भाई को कोई अप्रिय कर्म  करते देखा और वह उसे रोक सकता था परन्तु उसने उसे नहीं रोका तो मानों उसके साथ विश्वासघात किया है।

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