पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारीयान
وَبِعِزَّتِكَ الَّتِى لاَيَقُومُ لَهَا شَىْءٌ
वाबेइज़्ज़तेकल्लति लायक़ूमो लहा शैइन
और उस इज़्ज़त व सम्मान के माध्यम से है जिसके अपेक्षा मे किसी मे मुकाबला करने की क्षमता नही है।
मानव प्रकृति सम्मान एंव गौरव की इच्छुक है। ईश्वर ने पवित्र क़ुरआन मे सम्मान एंव गौरव का इस प्रकार उल्लेख किया हैः
مَن كاَنَ يُرِيدُ الْعِزَّةَ فَللهِ َِّ الْعِزَّةُ جَمِيعًا
मन काना योरिदुल इज़्ज़ता फ़लिल्लाहिल इज़्ज़तो जमीआ[1]
जो व्यक्ति इज़्ज़त एंव सम्मान चाहता है (उसे ईश्वर से मांगे क्योकि) इज़्ज़त एंव सम्मान ईश्वर से विशेष है।
राग़िबे इसफ़हानी अलमुफ़रेदात नामी पुस्तक मे कहते हैः
सम्मान उस स्थिति को दर्शाता है जो विफल एंव पराजित होने के आड़े आए।[2]
इस अर्थ एंव माना मे इज़्ज़त एंव सम्मान केवल ईश्वर से विशेष है क्योकि उसके अलावा प्रत्येक वस्तु एंव प्राणी अपनी ज़ात मे फ़क़ीर और ज़लील है तथा किसी चीज़ का भी मालिक नही होगा, परन्तु यह कि ईश्वर उसको अपनी इज़्ज़त की छाया मे उसको सम्मान प्रदान करे, जिस प्रकार विश्वासीयो (मोमेनीन) के लिए उसने किया और कहा हैः
जारी
[1] सुरए फ़ातिर 35, छंद 10
दूसरे छंदो मे भी इस हक़ीक़त की ओर संकेत किया गया है कि इज़्ज़त ईश्वर की ओर से है। उदाहरण
وَ لَا يحَزُنكَ قَوْلُهُمْ إِنَّ الْعِزَّةَ لِلَّهِ جَمِيعًا هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيم
वला याहज़ुन्का क़ौलोहुम इन्नल इज़्ज़ता लिल्लाहे जमीअन होवस्समीउल अलीम (सुरए युनुस 10, छंद 65)
विरोधियो के कथन (निराधार और बकवास के विज्ञापन) से आप दुखी ना हो, क्योकि सारा सम्मान एंव इज़्ज़त ईश्वर के लिए है, वह सुनने वाला और ज्ञानी है।
الَّذِينَ يَتَّخِذُونَ الْكَافِرِينَ أَوْلِيَاءَ مِن دُونِ الْمُؤْمِنِينَ أَ يَبْتَغُونَ عِندَهُمُ الْعِزَّةَ فَإِنَّ الْعِزَّةَ لِلَّهِ جَمِيعًا
अल्लज़ीना यत्तखेज़ूनल काफ़ेरीना औलेयाआ मिन दूनिल मोमेनीना आ यबतग़ूना इनदहोमुल इज़्ज़ता फ़इन्नल इज़्ज़ता लिल्लाहे जमीआ (सुरए नेसा 4, छंद 139)
जो लोग मोमेनीन को छोड़कर नासतिको को अपना अभिभावक और संरक्षक बनाते है ... क्या यह उनके पास इज़्ज़त एंव सम्मान खोज रहे है, जबकि सारा सम्मान एंव इज़्ज़त ईश्वर के लिए है।
[2] अलमुफ़रेदात, मादा अज़ज़