पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारीयान
सभी प्राणीयो मे इज़्ज़त व सम्मान उसकी इज़्ज़त और सम्मान की एक साधारण किरण है। साधरण एंव महत्वहीन किरण कहा और अनंत तथा प्रारम्भिक एंव सदैव रहने वाला प्रकाश कहा।
हां पवित्र क़ुरआन के अनुसार सारी इज़्ज़त ईश्वर के लिए है, और जिसे चाहे उसकी क्षमतानुसार सम्मान प्रदान करता है, और जिसे ना चाहे उसको सम्मान नही देता, और यदि चाहे तो इज़्ज़त व सम्मान देने के पश्चात छीन सकता है, इसीलिए कोई भी वस्तु उसकी तुलना मे सदैव इज़्ज़त व सम्मान नही रखती, और कोई भी शक्ति उसका मुक़ाबला नही कर सकती, वह अपराजित क्षमता का मालिक है।
किसी भी वस्तु का अस्तित्व अपने सभी विशेषताओ एंव संयोजिक पदार्थो के साथ आकाश एंव धरती से लेकर तथा जो कुच्छ उनके बीच मे है चाहे वह दिखाई देने वाले अथवा दिखाई ना देने वाले प्राणी हो वह सभी ईश्वर की इज़्ज़त व सम्मान की हल्की (साधारण) छवि है, तो उस अज़ाली और अबदी तथा अनंत शक्ति एंव क्षमता का मुकाबला किस प्रकार कर सकती है!?