Hindi
Tuesday 26th of November 2024
0
نفر 0

रमज़ानुल मुबारक-9

 रमज़ानुल मुबारक-9

रोज़े के लिए इस्लामी शिक्षाओं में आया है कि अल्लाह ने कहा है कि मेरे बंदे हर इबादत अपने लिए भी करते हैं लेकिन रोज़ा केवल मेरे लिए होता है और मैं ही उस का इनाम दूंगा

रमज़ानुल मुबारक-9
रसूलुल्लाह स. ख़ुतबए शाबानिया में फ़रमाते हैं, ''قَد أَقبَلَ إِلیكُم شَهرُ اللَّهِ بِالبَرَكَةِ وَ الرَّحمَةِ‘‘ रमजान का महीना तुम्हारी ओर अपनी बरकत और रहमत के साथ आ रहा है। इसी ख़ुतबए शाबानिया में रसूले ख़ुदा स. फ़रमाते हैं- ''شَهر دُعِیتُم فِیهِ إِلىٰ ضِیَافَةِ اللَّهِ‘‘ इस महीने में तुम्हे अल्लाह का मेहमान बनाया गया है, इसमें अल्लाह की तरफ़ से आपको दावत दी गई है।

रोज़े के लिए इस्लामी शिक्षाओं में आया है कि अल्लाह ने कहा है कि मेरे बंदे हर इबादत अपने लिए भी करते हैं लेकिन रोज़ा केवल मेरे लिए होता है और मैं ही उस का इनाम दूंगा।
वास्तव में अगर देखा जाए तो रोज़े के दो इनाम होते हैं एक इनाम इसी दुनिया में मिल जाता है जब कि दूसरा क़यामत में मिलेगा। इसी दुनिया में मिलने वाला इनाम रोज़ा रखने से स्वास्थ्य को होने वाले अनेकों फ़ायदे हैं। डाक्टर टॉमेनेएंस रोज़ा रखने के फ़ायदों के बारे में लिखते हैं कि एक निर्धारित समय में कम खाने और खाने से दूरी का फ़ायदे यह है कि ग्यारह महीनों तक मेदा खाने से भरा रहता और एक महीने के दौरान रोज़ा रखने से मेदा खाली हो जाता है इसी तरह लीवर भी जो खाने कत पचाने के लिए निरंतर पित का स्राव करने करने पर मजबूर होता है तीस दिनों के रोज़ों के दौरान बचे खुचे खानों को पचाने का काम करता है। डेजिस्टिव सिस्टम को कम खाने से आराम मिलता है और उस से उन की थकान कम होती है। यह स्वास्थ्य की रक्षा का उचित रास्ता है जिस की ओर मॉडर्न व प्राचीन इलाज शैलियों में ध्यान दिया गया है। ख़ास कर मेदे और लीवर के बहुत से एसे रोग होते हैं जिन्हें दवा द्वारा दूर नहीं किया जा सकता एसे रोगों का बेहतरीन इलाज रोज़ा रखना है लीवर का ख़ास रोग जो पीलिया का कारण बनता है उस का सर्वोचित इलाज रोज़ा रखना अर्थात भूखा रहना है। ख़ास इस लिए भी पीलिया आम तौर पर लीवर के थक जाने से भी हो जाता है और ज़्यादा काम करने के कारण लीवर, पित बनाने के बाद उसे गॉलब्लेडर में भेजने में नाकाम हो जाता है और पित लीवर ही में इकट्ठा हो जाता है जिस से पीलिया हो जाता है।
फ़्रांस के डाक्टर गोयल पा कहते हैं ८० प्रतिशत रोग अतंड़ियों में खाने के खटटे होने से पैदा होते हैं जो रोज़ा रखने से ख़त्म हो जाते हैं। रोज़े के इस तरह के फ़ायदे वास्तव में अल्लाह के वरदान व इनाम ही हैं जिस से इंसान इसी दुनिया में लाभान्वित होता है यह अल्लाह की कृपा ही है कि उस ने एक रोज़े को हमारे लिए वाजिब किया वह हमारा रचयता है और उसे हमारे वुजूद और जिस्म के बारे में पूरा इल्म है रोज़े का फ़ायदे इंसान को ही पहुंचता है लेकिन अल्लाह ने उसे अपने लिए की जाने वाली इबादत बताया है। रोज़े के विभिन्न फ़ायदों से ही हम बात का पता लगा सकते हैं कि अल्लाह के आदेशों का पालन इंसान के लिए निश्चित रुप से फ़ायदेमंद ही होता है भले ही जाहेरी तौर से उस में हमें कभी कोई नुकसान का पहलू भी दिखाई दे जाए।

 


source : www.abna.ir
0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ...
पवित्र रमज़ान भाग-8
ईश्वर की दया 2
पवित्र रमज़ान-१
हजः संकल्प करना
कुमैल की जाति
बनी हाशिम के पहले शहीद “हज़रत अली ...
अज़ादारी
आयतुल्ला ख़ुमैनी की द्रष्टि से ...
ज़ुहुर या विलादत

 
user comment