कर्बला में जिन नेक और अच्छे इंसानों ने सह़ी और कामयाब रास्ते को अपनाया और अपने ज़माने के इमाम के नेतृत्व में बुरे लोगों के मुक़ाबले, अपनी ख़ुशी के साथ जंग की और शहीद हुए उनमें से कुछ वीर ह़ज़रत अली (अ.स) के बेटे भी थे जो अमीरूल मोमिनीन अ. की तरफ़ से इमाम ह़ुसैन अलैहिस्सलाम के भाई थे, इतिहास की किताबों में उनकी संख्या 18 बताई गई है।
अमीरूल मोमिनीन अ. की दूसरी बीवियों की संतानें जो कर्बला में शहीद हुईं
मुह़म्मद इब्ने अली
आप मुह़म्मद असग़र के नाम से मशहूर हैं
1. आपकी मां के बारे में कि वह कनीज़ थीं या आज़ाद सह़ी मालूमात नहीं मिलती हैं। कलबी, इब्ने सअद, तबरी व शेख़े तूसी ने आपकी मां को कनीज़ बयान किया है। जबकि नाम बयान नहीं किया है।
2. जबकि बलाज़री ने आपके कनीज़ होने के बयान के साथ साथ आपका नाम वरह़ा बयान किया है।
3. दूसरी किताबों में आपको आज़ाद बताया गया है याक़ूबी ने आपका नाम अमामा बिन्ते अबिल आस बयान किया है।
4. हालांकि कुछ लोगों ने आपके कर्बला में होने के बारे में कुछ नहीं लिखा है या शक किया है। लेकिन बहुत सी मोतबर व विश्वस्नीय किताबों नें आपको कर्बला के शहीदों में गिना है। इसी वजह से आपके नाम को अहले सुन्नत और शिया दोनों ने शहीदों में गिना है।
5. जबकि इब्ने शहर आशूब अ. ने आपके कर्बला में मौजूद होने की तो ख़बर दी है लेकिन बीमारी की वजह से शहादत से इन्कार किया
अबूबक्र इब्ने अली (अ.स)
आपके नाम के सिलसिले में मतभेद पाया जाता है कुछ ने अबदुल्लाह कुछ ने उबैदुल्लाह और कुछ ने मुह़म्मद असग़र जाना है। मशहूर कथन यह है कि आपकी मां का नाम लैला बिन्ते मसऊद नहली था। जबकि कुछ ने आपकी मां का नाम उम्मुल बनीन बिन्ते ह़िज़ाम कलबी बयान किया है। बहुत सी किताबों में आपको कर्बला के शहीदों में गिना गया है। जबकि कुछ लोग जैसेः तबरी,अबुलफ़ज्र, व इब्ने शहेर आशूब ने आपकी शहादत के सिलसिले में शक किया है शैख़े मुफ़ीद अलैहिर्रह़मा ने आपके नाम को कर्बला के शहीदों में बयान किया है। लेकिन जब ह़ज़रत अली (अ.स) के बेटों की गिनती की है तो अबूबक्र को मुह़म्मद असग़र के उपनाम से याद किया है।
इब्राहीम इब्ने अली (अ.स)
इब्ने क़तीबा, इब्ने अब्दुर रब्बे और दूसरी में इब्राहीम की कर्बला में मौजूदगी और शहादत की ख़बर दी गई है जबकि अबुलफ़रज ने अपनी किताब अनसाब में आपका नाम बयान नहीं किया है। जबकि मुह़म्मद इब्ने अली इब्ने ह़मज़ा के हवाले से बयान किया है कि इब्राहीम " तफ़" के दिन शहीद हुए। उसने और दूसरों ने आपकी मां को कनीज़ जाना है।
उमर इब्ने अली (अ.स)
कुछ ने आपके नाम को उमरे अकबर और उपनाम अबुल क़ासिम या अबु ह़फ़्स बयान किया है। आपकी मां के संदर्भ में भी मतभेद हुआ है इब्ने सअद और याक़ूबी ने आपकी मां का नाम उम्मे ह़बीब बिन्ते रबीअ तग़लबी जाना है और बयान किया है कि आपको ख़ालिद इब्ने वलीद ने ऐनुत्तम्र में गिरफ़्तार करके मदीना लाया लेकिन उनसे कब ह़ज़रत अली (अ.स) ने शादी की उसका उल्लेख नहीं हुआ है। कुछ दूसरों ने आपकी मां का नाम लैला बिन्ते मसऊद दारमी जाना है। बलाज़री ने लिखा है कि उमर इब्ने ख़त्ताब ने अपने नाम पर उनका नाम रखा, फ़ख़रे राज़ी ने उमर को ह़ज़रत अली (अ.स) के सबसे छोटे बेटे के तौर पर बयान किया है आपके कर्बला में मौजूद होने के बारे में लेखकों में मतभेद पाया जाता है,ख़्वारज़मी, इब्ने शहरे आशूब, मामेक़ानी और दूसरों ने आपको कर्बला के शहीदों में गिना है।
source : alhassanain.org