Hindi
Thursday 2nd of January 2025
0
نفر 0

वह अजनबी कौन था?

एक कमज़ोर औरत पानी से भरी मश्क बड़ी मुश्किल से ले जा रही थी। रास्ते में उसे एक आदमी मिला उसनें औरत से पानी की मश्क ली और उसके घर का पता पूछ कर आगे आगे चलने लगा। छोटे छोटे बच्चे अकेले घर पर माँ का इन्तेज़ार कर रहे थे। बच्चों नें दूर से माँ को देखा तो दौड़ कर उसके पास आए लेकिन उन्हें यह देख कर आश्चर्य हुआ कि आज पानी की मश्क उनकी माँ के बजाए एक अजनबी आदमी नें उठा रखी थी।
वह अजनबी कौन था?

एक कमज़ोर औरत पानी से भरी मश्क बड़ी मुश्किल से ले जा रही थी। रास्ते में उसे एक आदमी मिला उसनें औरत से पानी की मश्क ली और उसके घर का पता पूछ कर आगे आगे चलने लगा। छोटे छोटे बच्चे अकेले घर पर माँ का इन्तेज़ार कर रहे थे। बच्चों नें दूर से माँ को देखा तो दौड़ कर उसके पास आए लेकिन उन्हें यह देख कर आश्चर्य हुआ कि आज पानी की मश्क उनकी माँ के बजाए एक अजनबी आदमी नें उठा रखी थी।
अजनबी आदमी नें मश्क नीचे रखी और कहा: लगता है तुम्हारा पति नहीं है, क्या वह कहीं गया है? औरत नें जवाब दिया: मेरा शौहर अली इब्ने अबी तालिब की फ़ौज का एक सिपाही था, एक जंग में वह शहीद हो गया है। अब मैं हूँ और मेरे यह मासूम बच्चे!
औरत की बात सुन कर अजनबी को बड़ा दुख हुआ। वह कुछ नहीं बोला और वहाँ से चला आया। वह पूरा दिन उन यतीम बच्चों के बारे में सोचता रहा। इस वजह से उसे रात भर नींद नहीं आई। सुबह बाज़ार गया और बहुत सारा सामान ख़रीद कर उस औरत के घर गया।
दरवाज़ा खटखटाया तो औरत नें पूछा: कौन है?
अजनबी बोला: वही जो कल तेरे घर आया था। पानी की मश्क लाया हूँ और बच्चों के लिये खाने पीने की थोड़ी बहुत चीज़ें भी लाया हूँ।
औरत ख़ुश हुई और उसका शुक्रिया करते हुए बोली: ख़ुदा तुम्हारा भला करे!
फिर वह अजनबी बोला: अगर तुम इजाज़त दो तो बच्चों के लिये रोटी और कवाब बना दूँ या यह काम तुम करो और मैं बच्चों के साथ खेलूँ!
औरत  नें कहा: रोटी और कवाब बनाना तुम्हारे लिये मुश्किल होगा, तुम बच्चों के साथ खेलो!
औरत रोटियों के लिये आंटा गूंधने लगी और अजनबी बच्चों के साथ खेलने लगा।
थोड़ी देर बाद औरत नें आवाज़ दी: ज़रा तंदूर जला दो। अजनबी नें उठकर तंदूर जलाया। जब तंदूर से शोले उठने लगे तो वह अपना चेहरा तंदूर के सामने ले गया और अपने आप से बोला: इस गर्मी का मज़ा चखो! यह उस इन्सान की सज़ा थी जो यतीमों और विधवाओं के बारे में सुस्ती करता है।
उस मुहल्ले की एक और औरत वहाँ से गुज़री जो उस अजनबी को पहचानती थी। वह आई और उसनें औरत से आकर कहा: तू क्या कर रही है? तू जानती है तूने किसे काम पर लगाया है? यह अमीरूल मोमिनीन हैं जो हमारे इमाम और रसूले ख़ुदा के ख़लीफ़ा हैं।
यह सुन कर वह औरत हाथ जोड़कर हज़रत से माफ़ी मांगने लगी: मुझे माफ़ कर दीजिए! मैं नहीं जानती थी आप कौन हैं! हज़रत नें जवाब दिया: माफ़ी तुमको नहीं मुझे मांगनी चाहिये क्योंकि तुम सब का ख़्याल रखना मेरी ज़िम्मेदारी है और मैं अपना कर्तव्य नहीं निभा पाया हूँ।
दोस्तों! क्या आप समझ गए वह अजनबी कौन था?


source : abna
0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

इमाम अली (अ) ने किसी बुत के सामने ...
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम
जन्नतुल बक़ी
सब से बड़ा मोजिज़ा
तव्वाबीन आन्दोलन-2
पवित्र रमज़ान-8
औलिया ख़ुदा से सहायता मागंना
शियों के इमाम सुन्नियों की ...
ख़ुशी और प्रसन्नता के महत्त्व
इस्लाम में औरत का मुकाम: एक झलक

 
user comment