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हजरते मासूमा स.अ. का जन्मदिवस।

अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: हज़रते फ़ातेमा मासूमा स.अ. इस्लामी इतिहास की एक महत्वपूर्ण हस्ती का नाम है। आप शियों के सातवें इमाम, हज़रत इमाम मूसा काज़िम अ.स. की बेटी और आठवें इमाम, हज़रत इमाम रेज़ा अ.स. की बहन हैं आप बहुत छोटी थीं तभी आपके बाबा इमाम मूसा काज़िम अ.स. को शहीद कर दिया गया और आपकी शिक्षा और प्रशिक्षण आपके भाई इमाम रेज़ा अ.स. ने किया। यही कारण है कि आपको अपने भाई से बहुत मुहब्बत थी। आप और इमाम रेज़ा अ.स. एक ही माँ से थे आपकी माँ का नाम ख़ैजराँ था। आपका नाम फ़ातेमा और ल
हजरते मासूमा स.अ. का जन्मदिवस।

अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: हज़रते फ़ातेमा मासूमा स.अ. इस्लामी इतिहास की एक महत्वपूर्ण हस्ती का नाम है। आप शियों के सातवें इमाम, हज़रत इमाम मूसा काज़िम अ.स. की बेटी और आठवें इमाम, हज़रत इमाम रेज़ा अ.स. की बहन हैं आप बहुत छोटी थीं तभी आपके बाबा इमाम मूसा काज़िम अ.स. को शहीद कर दिया गया और आपकी शिक्षा और प्रशिक्षण आपके भाई इमाम रेज़ा अ.स. ने किया। यही कारण है कि आपको अपने भाई से बहुत मुहब्बत थी। आप और इमाम रेज़ा अ.स. एक ही माँ से थे आपकी माँ का नाम ख़ैजराँ था।
आपका नाम फ़ातेमा और लक़ब मासूमा मशहूर है मासूमा के अतिरिक्त करीमए अहलेबैत,आलेमा ,आबेदा ,तक़ीया, मुहद्देसा और नक़ीया लक़ब भी मिलता है। आपका जन्म 1 ज़ीक़ाद 173 हिजरी में मदीने में हुआ। आपने अपने भाई की मुहब्बत में मदीना छोड़ा और मशहद की ओर प्रस्थान किया परंतु रास्ते में ही आपको अपने भाई की शहादत की सूचना मिली जिससे आप अत्यंत दुखी हुईं और आपने अपना रास्ता बदल दिया और क़ुम चली गईं और यहीं पर आपका निधन हुआ और आज ईरान के क़ुम शहर में आपके रौज़े पर दूर दराज से आने वाले ज़ायरीन का ताँता बँधा रहता है।
आपकी ज़ियारत के महत्व के लिए हमें मासूमीन अ.स. की हदीसें मिलती हैं। आपकी ज़ात के महत्व के लिए इतना ही काफ़ी है कि इमाम सादिक़ अ.स. ने आपके जन्म से कहीं पहले ही आपके बारे में कहा:
इमाम सादिक़ (अ:स) ने फ़रमाया : ख़ुदा'वंदे आलम हरम रखता है और उसका हरम मक्का है! पैग़म्बर स.व. हरम रखते हैं और उनका हरम मदीना है, अमीरुल मोमिनीन हरम रखते है और उनका हरम कूफ़ा है!
क़ुम एक कूफ़ा-ए-सग़ीर है, जन्नत के आठ दरवाजों में से तीन क़ुम की तरफ़ खुलते हैं, फिर इमाम (अ:स) ने फ़रमाया, मेरी औलाद में से एक औरत जिस की शहादत क़ुम में होगी और इसका नाम फ़ातिमा बिन्ते मूसा होगा और उसकी शफ़ाअत से हमारे तमाम शिया जन्नत में दाख़िल हो जायेंगे (बिहारुलअनवार जिल्द 60, पेज 288)
स'अद, इमाम रज़ा (अ:स) से नक़ल करते हैं के आप ने फ़रमाया ऐ साद जिसने हज़रत मासूमा (स:अ) की ज़ियारत की उस पर जन्नत वाजिब है!
"सवाब-उल-अमाल" और "उ'युनुर-रज़ा" में स'अद बिन स'अद से नक़ल है के मै ने इमाम रज़ा (अ:स) से मासूमा (स:अ) के बारे में पूछा तो आपने फ़रमाया, हज़रत मासूमा (स:अ) की ज़ियारत का सवाब जन्नत है! (कामिल-उल-ज़्यारात, पेज 324)
इमाम जवाद (अ:स) फ़रमाते हैं के जिसने मेरी फूफी (स:अ) की ज़ियारत क़ुम में की उसके लिये जन्नत है
इमाम (अ:स) फ़रमाते हैं कि जिस ने मासूमा (स:अ) की ज़ियारत उस की शान-व-मंज़िलत को जानने के बाद की वो जन्नत में जाएगा (बेहार, जिल्द 48, पेज 307)
इमाम सादिक़ (अ:स) फ़रमाते हैं की आगाह हो जाओ के मेरा और मेरे बेटों का हरम मेरे बाद क़ुम में है (बेहार-उल-अनवार, जिल्द 60, पेज 216)


source : abna
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