Hindi
Monday 25th of November 2024
0
نفر 0

जो शख्स शहे दी का अज़ादार नही है

क़सीदा जो शख्स शहे दी का अज़ादार नही है वो जन्नतो कौसर का भी हक़दार नही है। जिसने न किया खाके शिफा
जो शख्स शहे दी का अज़ादार नही है



क़सीदा

जो शख्स शहे दी का अज़ादार नही है

वो जन्नतो कौसर का भी हक़दार नही है।


जिसने न किया खाके शिफा पर कभी सजदा

सच पूछीये वो दीं का वफादार नही है।


ये जश्ने विला शाहे शहीदां से है मनसूब

एक लम्हा किसी का यहा बेकार नही है।


जो खर्च न करता हो अज़ाऐ शहे दी मे

वो शाहे शहीदां का तरफदार नही है।


आशूर की शब क़िस्मते हुर ने कहा हुर से

अब जाग के शब्बीर सा सरदार नही है।


इज़्ज़त से जियो और मरो शह ने कहा है

ज़िल्लत को जो अपनाऐ वो खुद्दार नही है।


बिदअत जो अज़ाए शहे वाला को बताऐ

सब कुछ है मगर साहिबे किरदार नही है।


हक़ मिदहते मौला का भला कैसे अदा हो

हर शख्स यहाँ मीसमे तम्मार नही है।


source : alhassanain
0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

सूर –ए- माएदा की तफसीर 2
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत
कुमैल के लिए ज़िक्र की हक़ीक़त 2
सफ़र के महीने की बीस तारीख़
हदीसे किसा
यज़ीद के दरबार में हज़रत ज़ैनब का ...
इमाम हसन (अ) के दान देने और क्षमा ...
बदकारी
हज़रत यूसुफ और जुलैख़ा के इश्क़ ...
15 शाबान

 
user comment