इल्म एक सिर्रे हक़ीक़त है हक़ीक़त की क़सम
इल्म ताबिन्दा करामत है करामत की क़सम
इल्म मैयारे शराफत है शराफत की क़सम
इल्म मंशाऐ मशीयत है मशीयत की क़सम
इल्म रखता है सदाक़त के उसूलो पे नज़र
इल्म आता है ज़माने मे मौहम्मद बन कर
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इल्म इज़्ज़त की क़बा इल्म है तौक़ीर का ताज
इल्म वो शाह जो लेता है दोआलम से खिराज
इल्म एक पल मे बदल देता है इंसा का मिज़ाज
इल्म की आखरी मंज़िल है नबी की मैराज
इल्म अफलाक की रिफअत से गुज़र जाता है
इल्म क़ोसेन की सरहद रे ठहर जाता है
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इल्म नुक़्ता भी है क़ुरआ भी है तफसीर भी है
इल्म मिल्लत की चमकती हुई तक़दीर भी है
इल्म अखलाक़ की चलती हुई शमशीर भी है
इल्म मासूम रिवायात की ज़ंजीर भी है
इल्म जब नैहजे बलाग़त मे सफर करता है
फिक्र के ज़र्रो को खुरशीदो क़मर करता है
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इल्म है अहमदे मुरसल की जलालत का चिराग़
इल्म है हैदरे कर्रार की अज़मत का चिराग़
इल्म है फातेमा ज़हरा की फिरासत का चिराग़
इल्म है शब्बरो शब्बीर की सीरत का चिराग़
इल्म सज्जाद के अफकार की तनवीर भी है
इल्म बाक़िर के ख्यालात की जागीर भी है
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इल्म हैं सादीक़ो काज़िम के अमल का मैयार
इल्म है सब्र की मंज़िल मे रज़ा का ईसार
इल्म तक़वा की रविश मे है तक़ी का किरदार
इल्म के नूर की हामिल है नक़ी की गुफ्तार
इल्म है असकरी औसाफो फज़ाइल की किताब
इल्म है आखरी हादी की इमामत का गुलाब
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इल्म की शान बड़ी इल्म का रूतबा है अजीब
इल्म है मैहरो वफा और मुहब्बत का नक़ीब
इल्म है मिम्बरे तौहीद का बेमिस्ल ख़तीब
इल्म ले आता है सलमान को इस्मत के क़रीब
इल्म है दीन के आदाब सिखाने वाला
बन्दाऐ ज़र को अबुज़र है बनाने वाला
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इल्म होता नही मरऊब सितमगारो से
इल्म डरता नही बदकारो से गद्दारो से
इल्म लड़ता है जहालत के परस्तारो से
इल्म डरता नही शाहो के नमकख़ारो से
इल्म ईमान के जज़्बे को जवाँ रखता है
इल्म हर दौर मे मीसम की ज़बाँ रखता है
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इल्म से अहले शक़ावत का जीगर छिलता है
इल्म से पैरहने अज़मो यक़ीं सिलता है
इल्म का फूल सरे दारो रसन खिलता है
इल्म को तेग़ के साऐ मे सूकुं मिलता है
सर बुरिदा हो तो नेज़े से सदा देता है
इल्म अल्लाह का पैग़ाम सुना देता है
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इल्म करता ही नही वहमो गुमा की तक़लीद
इल्म से दुश्मनी रखते थे अबुजहलो यज़ीद
इल्म पर हो गऐ क़ुरबान हबीब और सईद
इल्म की शमा जलाते रहे तूसीओ मुफीद
इल्म शौकत मे वजाहत मे रज़ी होता है
मसनदे हक़ पे खुमैनीओ खुई होता है
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इल्म से खुलते है असरारे शरीअत वासिफ
इल्म से मिलती है दुनिया को हिदायत वासिफ
इल्म से होती नही जहल की बैअत वासिफ
इल्म करता नही बातिल की हिमायत वासिफ
इल्म से आईना होते है मुकद्दर चेहरे
इल्म देता है सदाक़त को बहत्तर चेहरे
source : alhassanain