एक मुस्लिम छात्रा ने धार्मिक मूल्यों की ख़ातिर अपने करियर के लिए संभवतः सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होने वाले मेडिकल टेस्ट की बलि चढ़ा दी।
लखनउ की इस मुस्लिम छात्रा को शनिवार को जब हेजाब के साथ ए आई पी एम टी के इम्तेहान में भाग लेने से रोका गया तो उन्होंने धार्मिक मूल्यों को अहमियत देते हुए, इस टेस्ट में भाग न लेने का फ़ैसला किया। लेकिन उन्होंने साथ ही विश्वास जताया कि वह दूसरे मेडिकल टेस्ट और मेहनत के ज़रिए मेडिकल क्षेत्र में अपना करियर बनाएंगी। उन्होंने कहा, “मैं पहली बार ए आई पी एम टी टेस्ट में हिस्सा लेने जा रही थी। उत्तर प्रदेश की तरफ़ से में भाग लेने और एक साल बर्बाद होने पर मुझे अफ़सोस नहीं है। अगर इस रोक का लक्ष्य मेरे पहनावे और सोच पर पहरा लगाना है तो मुझे यह क़दम उठाने पर कोई अफ़सोस नहीं है।”
ज्ञात रहे शुक्रवार को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एआईपीएमटी के कोर्स के दौरान लंबी आस्तीन वाले कपड़े और हेजाब पर पाबंदी को बरक़रार रखा।
लखनउ के शीश महल की छात्रा रेहाना (बदला हुआ नाम) बचपन से हेजाब करती हैं।
इससे पहले वह ए आई पी एम टी के 3 मई को हुए टेस्ट में पूरे हेजाब के साथ शामिल हुयी थीं लेकिन ए आई पी एम टी के फिर से टेस्ट के मौक़े पर ड्रेस कोड को लेकर हालिया विवाद के कारण वह शुक्रवार देर रात तक परेशान थीं। वह कहती हैं, “जब मैंने सुबह अख़बार में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बारे में पढ़ा तो मेरे पास इम्तेहान छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।”
source : abna24