Hindi
Sunday 7th of July 2024
0
نفر 0

अपनी परेशानी लोगों से न कहो

अपनी परेशानी लोगों से न कहो



मुफ़ज़्ज़ल बिन क़ैस ज़िन्दगी की दुशवारी से दो चार थे और फ़क्र व तंगदस्ती कर्ज़ और ज़िन्दगी के अख़राजात से बहुत परेशान थ। एक दिन हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक अलैहिस्सलाम की ख़िदमत में हाज़िर हुए और अपनी बेचारगी और परेशानी बयान की, कि मुझ पर इतना कर्ज़ है और मैं नहीं जानता की किस तरह अदा करूँ, ख़र्च है मगर आमदनी का कोई वसीला नहीं। मजबूर हो चुका हूँ क्या करूं कुछ समझ मे नहीं आता, मैं हर ख़ुले हुए दरवाज़े पर गया मगर मेरे जाते ही वो दरवाज़ा बन्द हो गया।

 


और आख़िर में उन्होने इमाम से दरख़ास्त की कि उसके लिए दुवा फ़रमाएं और ख़ुदा वन्दे आलम से चाहें कि उसकी मुश्किल आसान हो। इमाम ने एक कनीज़ को हुक्म दिया (जो कि वहाँ मौजूद थी) जाओ और वो अशरफ़ी की थैली ले आओ जो कि मंसूर ने मेरे लिए भेजी है। वो कनीज़ गई और फ़ौरन अशरफ़ियों की थैली लेकर हाज़िर हुई। इमाम ने मुफ़ज़्ज़ल से फ़रमाया कि इस थैली में चार सौ दीनार हैं जो कि तुम्हारी ज़िन्दगी के लिए कुछ दिन का सहारा बन सकते हैं। मुफ़ज़्ज़ल ने कहा, हुज़ूर मेरी ये ख़्वाहिश न थी, मैं तो सिर्फ़ दुआ का तलबगार था।

 


इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया, बहुत अच्छा मैं दुआ भी करूंगा, लेकिन मैं तुझ से एक बात कहूँ कि तुम हरगिज़ अपनी सख़्तियाँ और परेशानियाँ लोगों पर ज़ाहिर न करो क्योकि उसका पहला असर ये होगा कि तुम ज़मीन पर गिर चुके हो और ज़माने के मुकाबले में शिकस्त खा चुके हो और तुम लोगों की नज़रों से गिर जाओगे और तुम्हारी शख़्सियत व वक़ार लोगों के दरमियान से ख़त्म हो जाएगा।

 

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

हज़रत यूसुफ और जुलैख़ा के इश्क़ ...
हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत
यज़ीद के दरबार में इमाम सज्जाद का ...
अरफ़ा, दुआ और इबादत का दिन
शिया समुदाय की उत्पत्ति व इतिहास (1)
इमाम हुसैन अ. के कितने भाई कर्बला ...
किस शेर की आमद है कि रन काँप रहा है
কারবালা যুদ্ধের নায়কদের করুণ ...
हदीसे किसा
माहे रजब की दुआऐं

 
user comment