कृपया प्रतीक्षा करें

इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम की अहादीस

  • प्रकाशन तिथि:   2017-03-30 06:45:46
  • दृश्यों की संख्या:   242

आज मिले अवसर से लाभ उठाओ, कौन जाने "कल" किसका होगा।



जिसकी ज़बान सच्ची होगी, उसका चरित्र पवित्र हो जाएगा।



विनम्रता यह है कि अन्य लोगों से भेंट के समय उन्हें सलाम करो और बहस से बचो, भले ही तुम्हारी बात सही हो।



आलसी लोग, दूसरों के अधिकार पूरे नहीं कर पाते जबकि असंयमी लोग, अपने अधिकार पर संतुष्ट नहीं रहते।



जो कोई ईश्वर पर भरोसा करता है वो किसी से वासजित नहीं होता और जो ईश्वर पर निर्भर रहता है विफ़ल नहीं होता।



ईमान का अर्थ है आस्था और कर्म, और इस्लाम का अर्थ है बिना कर्म की आस्था।

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