अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: आज ईरान सहित पूरी दुनिया में रसूले अकरम के बेटे हजरत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत की याद अकीदत और ऐहतराम से मनाई जा रही है 25 रजब को इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत का दिन है अतः ईरान, इराक, भारत और दुनिया के कई अन्य देशों में लोग अजादारी करके हजरत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत की याद मना रहे हैं। और आठवें इमाम, इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम को उनके बाबा का पुरसा दे रहे हैं शहादत के इस अवसर पर इराक के काज़मैन शहर में लाखों की संख्या में अज़ादार मौजूद है जो मातम और नौहा कर रहे हैं और आपकी दर्दनाक शहादत को याद करके आंसू बहा रहे हैं।
इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम इस्लाम एक महान व्यक्तित्व और शियों के छठे इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के बेटे थे आपने अपने बाबा से तालीम और तर्बियत पाई आप 35 साल तक मुसलमानों के इमाम रहे और इस दौरान अधिकतर कैदखानो में रहे जिस से पता चलता है कि उन के समय में अब्बासी शासकों का अहले बैत के बारे में रवैया बहुत जालिमाना था लेकिन इसके बावजूद इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने सच्चाई और हक की आवाज को उठाया और लोगों को सही रास्ते की रहनुमाई करते रहे। इमाम अलैहिस्सलाम ने मुसलमानों को सामाजिक व राजनीतिक तौर पर बेदार करने की कोशिश की और उन्हें अब्बासी शासकों के भ्रष्टाचार से अवगत कराया वह बनी अब्बास के शासकों के कार्यों और उनके तरीके को इस्लाम के विरुद्ध समझते थे अब्बासी खलीफा हारुन ने जो कि नहीं चाहता था कि जनता इमाम मूसा काज़िम अली सलाम से इल्म और शिक्षाओं से फायदा उठा सके। 25 रजब 183 हिजरी क़मरी को एक साजिश रच कर आपको कैदखाने में जहर देकर शहीद कर दिया शहादत के समय आपकी उम्र केवल 25 साल थी