बर्ज़ख़ की धरती के बारे में पवित्र क़ुरआन मजीद में ईर्साद हैः कि जिस दिन समस्त प्रकार लोगों को उठाया जायेगा। (23) मरने के बाद बर्ज़ख़, क़ब्र की धरती है उस क़ब्र में प्रत्येक प्रकार इंसान से सार के तौर पर अपनी धरती की कृत्वियों व दुष्चरीत्रों अचार पर व यक़ीन के सम्प्रर्क प्रश्न किया जाये गा. उसके बाद हर प्रश्न और उसके उत्तर के मुताबिक़ उस को स्थान प्रदान किया जाये गा।
इस संमधं में हज़रत रसूले अकरम (स0) फ़रमाते हैः क़ब्र एक बागीचा का नाम है या स्वर्ग का एक बागिचा या नर्क का एक गड्ढा है। लेकिन ज़िन्दा व्यक्ति उस चीज़ को अनुभव कर नहीं पा रहे हैं, जैसे कि एक व्यक्ति सो रहा हो और एक अच्छा सप्ना देख रहा हो खुशी की आबस्था में, या एक सप्ना देख रहा हो बडे कष्ट अबस्था में, वह जो परेशानी में है. लेकिन उस के चारों तरफ की लोग उस चीज़ को अनुभव कर नहीं पा रहे है. लेकिन यही उदाहरण पूरी तरह स्पष्ट व बयान कर रहा है कि जीवित व्यक्ति किस तरह, एक जिस्मे ख़ुश्क व बी हरकत मुर्दे को देखे. लेकिन ख़ुशी व नाराहती व अज़ाब को दर्क कर नहीं पा रहे है।