क़ुरआन मजीद के अपने सबूत के मुताबिक़ पैग़म्बरे अकरम (स) और आप के अहले बैत (अ) का बयान जैसा कि पिछले बाबों में आया है क़ुरआनी आयात की तफ़सीर में हुज्जत रखता है। यह हुज्जत पैग़म्बरे अकरम (स) और आईम्म ए अहले बैत (अ) की ज़बानी वाज़ेह बयान के मुतअल्लिक़ है और ऐसे ही अहादीसे क़तईउस सुदुर में इन के बयातान वाज़ेह तौर पर आये है लेकिन ग़े कतई हदीस जिस हदीस को इस्तेलाह में ख़बरे वाहिद कहते हैं और इस का सबूत मुसलमानों के दरमियान मुख़्तलिफ़ हैं, वह उस शख़्स की राय पर मबनी है जो क़ुरआन की तफ़सीर करता है। अहले सुन्नत के दरमियान एक तौर से ख़बरे वाहिद जिस को हदीसे सही कहा जाता है उस पर मुकम्मल तौर पर अमल करते हैं और शियों के दरमियान जिस चीज़ को, जो अब इल्मे उसूल के ज़रिये साबित और मुसल्लम हैं यह है कि ख़बरे वाहिद जो क़ाबिले ऐतेबार तरीक़े से जारी हुई हो अहकामे शरई में हुज्जत है और अगर इस के ख़िलाफ़ हो तो इस पर यक़ीन नही किया जा सकता। इस मसले में तहक़ीक़ करने के लिये इल्मे उसूल की तरफ़ रूजू करना चाहिये।