Hindi
Friday 24th of May 2024
0
نفر 0

मदहे हज़रते अब्बास मे

मदहे हज़रते अब्बास मे

कसीदा

शाद हैं शब्बरो शब्बीर दिलावर पा कर

चूमती हैं लबो रुखसार बहन भी आ कर।

 

या अली आपके जैसा है जो फिज़्ज़ा ने कहा

सजदाऐ रब के लिऐ बैठ गऐ घुटनो पर।

 

बाँटो अम्मार मिठाई वा पिलाओ शरबत

कहते है चूम के बेटे को खुशी से हैदर।

 

कभी ज़ैनब कभी कुलसुम झुलाती झूला

मुस्कुराते है अली देख के प्यारा मंज़र।

 

कहते हैं मिलके गले तुम को मुबारक या अली

करते है शेर की ज़ियारत जो मालिके अशतर।

 

आ गया सूरमा सिफ्फीन का अब क्या कहना

उतारते है नज़र बढ़ के मीसमो कम्बर।

 

सुन के कहती ये चली आती है उम्मे सलमा

कहा है शेर जो आया है शेर के घर पर।

 

आ गऐ खुल्द से कहते हुऐ हज़रत हमज़ा

पा लिया आज भतीजे ने दुआओ का असर।

 

आ गई क़ूव्वते शब्बीर पयम्बर बोले

भाग जाएगा हर एक सूरमा इस से ड़र कर।

 

माँग लो अपनी मुरादो को इस घड़ी “अहमद”

पंजेतन शाद है जो देख के हाशिम का क़मर।

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई के ...
2014 में सबसे अधिक हुईं बच्चों के साथ ...
शिकवा
हक़ निभाना मेरे हुसैन का है,
कोई 'अनीस' कोई आशना नहीं रखते
जवाबे शिकवा
फज़ीलतो का समन्दर बतूल हैं
मेरा हुसैन (अ:स) क्या है
सूरए माएदा की तफसीर
शब्बीर का पैग़ाम सुनाने न दिया।

 
user comment