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Tuesday 26th of November 2024
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रहबर हुसैन हैं

भटकी हुई हयात के रहबर हुसैन हैं

सेहरा हैं करबला तो समन्दर हुसैन हैं


खुशबू पयामे हक की हैं सारे जहान में

गुलज़ार-ए-मुस्तफा के गुल-ए-तर हुसैन हैं


इश्क-ए-हुसैन से मेरी उक़बा संवर गई

सब्र-ओ-रोज़ा के आज भी पैकर हुसैन हैं


बेशक हयात-ओ-मौत का हैं फैसला यही

जी कर यजीद मर गया, घर-घर हुसैन हैं


जान अपनी दे के जिन्दगी बख्शी हैं दीन को

हर दिल का,हर निगाह का मेहवर हुसैन हैं


हैदर के नूर-ए-ईन जिगर गोशा-ए-रसूल

मासूम और बाला-ओ-बरतर हुसैन हैं


'शहजाद' उनके दम से ही रौशन हैं कायनात

दीन-ए-मुबीन के माह-ए-मुनव्वर हुसैन हैं

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