Hindi
Tuesday 26th of November 2024
0
نفر 0

क़ब्रे इमाम हुसैन की ज़ियारत न करना ज़ुल्म है।

क़ब्रे इमाम हुसैन की ज़ियारत न करना ज़ुल्म है।

पहली हदीस

इमाम काज़िम अ.स. अपने असहाब से फरमाते है कि तुम्हारे और क़ब्रे हुसैन अ.स. के दरमियान कितना फासला है।

कहाः 16 फरसख।

आपने कहाः क्या तुम इमाम हुसैन अ.स. की ज़ियारत करते हो।

कहाः नही।

इमाम ने फरमायाः तुम कितने सख्त और ज़ालिम हो।

 

दूसरी हदीस

हन्नान बिन सुदैर कहते है कि मैने इमाम सादिक से पूछा कि आप इमाम हुसैन की कब्र की ज़ियारत के बारे मे क्या फरमाते है।

इमाम ने फरमायाः कब्रे हुसैन की ज़ियारत करो और उन पर ज़ुल्म मत करो। वो सैय्यदुश शोहदा और सैय्यदे शबाबे अहले जन्नत है। याहिया बिन ज़करया के जैसे है सिर्फ इन दोनो पर आसमान रोया है।

 

तीसरी हदीस

हन्नान अपने वालिद सुदैर से रवायत करते है कि उन से इमाम सादिक़ ने फरमाया कि ऐ सुदैर क्या तुम रोज़ाना कब्रे इमाम हुसैन की जियारत करते हो।

मैने कहाः नही।

इमाम ने फरमायाः क्या तुम हर जुमे को उनकी ज़ियारत करते हो।

मैने कहाः नही।

इमाम ने फरमायाः क्या तुम हर महीने उनकी ज़ियारत करते हो।

मैने कहाः नही।

इमाम ने फरमायाः क्या तुम हर साल उनकी ज़ियारत करते हो।

मैने कहाः जी हाँ। कभी कभार ऐसा हो जाता है।

इमाम ने फरमायाः ऐ सुदैर तुम इमाम हुसैन पर बहुत ज़ुल्म करते हो क्या तुम्हे मालूम नही कि परवरदिगारे आलम ने 1000 फरीश्ते गुबार आलूद और गमगीन हाल मे आसमान से उतारे है कि जो रात को हुसैन को रोते रहते है और उनका मरसिया पढ़ते रहते है और इमाम हुसैन की कब्र की ज़ियारत से कभी थकते नही और उसका सवाब ज़ाईरो को हदिया करते है।

 

चोथी हदीस

हन्नान बिन सुदैर से रिवायत है कि एक शख्स इमाम बाकिर के पास आया।

इमाम ने उस से पूछाः तुम कहाँ से आऐ हो।

उसने जवाब दियाः मैं कूफे से आया हूँ और आपका चाहने वाला हूँ।

इमाम ने फरमायाः क्या तुम हर जुमे को इमाम हुसैन की ज़ियारत करते हो।

उसने कहाः नही।

इमाम ने फरमायाः क्या तुम हर महीने उनकी ज़ियारत करते हो।

उसने कहाः नही।

इमाम ने फरमायाः क्या तुम हर साल उनकी ज़ियारत करते हो।

उसने कहाः नही।

फिर इमाम बाकिर ने फरमाया तो तुम मे कोई खैर नही।

 

पाँचवी हदीस

इमाम सादिक ने फरमायाः ऐ फुज़ैल क्या तुम इमाम हुसैन की ज़ियारत नही करते। तुम्हे मालूम नही कि चार हज़ार बिखरे बालो वाले (ग़मगीन) फरीश्ते क़ब्रे इमाम हुसैन पर मुअय्यन है जो क़यामत तक उन को रोते रहेँगे।

 

छठी हदीस

मौहम्मद बिन मुस्लिम कहते है कि इमाम सादिक ने मुझ से पूछा कि तुम्हारे और क़ब्रे हुसैन अ.स. के दरमियान कितना फासला है।

मैने कहाः 16 या 17 फरसख।

आपने पूछा कि क्या तुम इमाम हुसैन अ.स. की ज़ियारत करते हो।

मैने कहाः नही।

इमाम ने फरमायाः तुम कितने बड़े ज़ालिम हो।

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

प्रकाशमयी चेहरा “जौन हबशी”
इमाम हुसैन अ. के कितने भाई कर्बला ...
क़ातिलाने इमाम हुसैन (अ)
कव्वे और लकड़हारे की कहानी।
सूर –ए- माएदा की तफसीर 2
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत
कुमैल के लिए ज़िक्र की हक़ीक़त 2
सफ़र के महीने की बीस तारीख़
हदीसे किसा
यज़ीद के दरबार में हज़रत ज़ैनब का ...

 
user comment