हमारा अक़ीदह है कि अल्लाह की ज़ाते पाक हर ऐब व नक़्स से पाक व मुनज़्ज़ह और तमाम कमालात से आरास्ता,बल्कि कमाले मुतलक़ व मुतलक़े कमाल है दूसरे अलफ़ाज़ में यह कहा जा सकता है कि इस दुनिया में जितने भी कमालात व ज़ेबाई पाई जाती है उसका सर चश्मा वही ज़ाते पाक है।
“ हुवा अल्लाहु अल्लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवा अलमलिकु अलक़ुद्दूसु अस्सलामु अलमुमिनु अलमुहयमिनु अलअज़ीज़ु अलजब्बारु अलमुतकब्बिरु सुबहना अल्लाहि अम्मा युशरिकून हुवा अल्लाहु ख़ालिक़ु अलबारियु अलमुसव्विरु लहु अलअसमाउ अलहुस्ना युसब्बिहु लहु मा फ़ी अस्समावाति व अलअर्ज़ि व हुवा अलअज़ीज़ु अलहकीम ”[1] यानी वह अल्लाह वह है जिसके अलावा कोई माबूद नही है वही असली हाकिम व मालिक है,वह हर ऐब से पाक व मुनज़्ज़ह,वह किसी पर ज़ुल्म नही करता,वह अमन देने वाला है,वह हर चीज़ की मुराक़ेबत करने वाला है,वह ऐसा कुदरत मन्द है जिसके लिए शिकस्त नही है,वह अपने नाफ़िज़ इरादे से हर काम की इस्लाह करता है,वह शाइस्ताए अज़मत है,वह अपने शरीक से मुनज़्जह है। वह अल्लाह बेसाबक़ा ख़ालिक़ व बेनज़ीर मुसव्विर है उसके लिए नेक नाम(हर तरह के सिफ़ाते कमाल) है,जो भी ज़मीनों व आसमानों में पाया जाता है उसकी तस्बाह करता है वह अज़ीज़ो हकीम है।
यह उसके कुछ सिफ़ाते जलाल व जमाल हैं।
[1] सूरए हश्र आयत न. 23-24
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