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Thursday 2nd of January 2025
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रिवायात मे प्रार्थना 4

 रिवायात मे प्रार्थना 4

लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान

                          

किताब का नाम: शरहे दुआ ए कुमैल

 

इमाम सादिक (अलैहिस्सलाम) से रिवायत है:

( ۔۔۔ فَاِذَا نَزَلَ البَلَاءُ فَعَلَیکُم بِالدُّعَاءِ وَ التَّضَرُعِ اِلَی أللہِ )

... फ़एज़ा नज़लल बलाओ फ़अलैक़ुम बिद्दोआए वत्तज़ारोऐ एलल्लाहे[1]

जिस समय कोई आपत्ति आए, निश्चित रूप से परमेश्वर के सामने अनुनय के साथ प्रार्थना करो।

दूसरे स्थान पर उन्ही इमाम का कथन है:

عَلَیکَ بِالدُّعَاءَ؛ فَاِنَّ فِیہِ شِفَاءً مِن کُلِّ دَاء

अलैका बिद्दोआए फ़ा इन्ना फ़ीहे शिफ़ाअन मिन कुल्ले दाइन[2]

तुम्हारे ऊपर प्रार्थना अनिवार्य है क्योकि इसमे (प्रार्थना) हर दर्द की दवा है।



[1] अलकाफ़ी, भाग 2, पेज 471, पाठ इलहामुद्दोआए, हदीस 2; मौहज्जतुल बैज़ा, भाग 2, पेज 284, पाठ 2

[2] अलकाफ़ी, भाग 2, पेज 470, पाठ अन्नद्दोआआ शिफ़ाउन मिन कुल्ले दाइन, हदीस 1; मौहज्जतुल बैज़ा, भाग 2, पेज 285, पाठ 2

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