लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: शरहे दुआ ए कुमैल
कुमैल ने 18 वर्ष की आयु मे इस्लाम के महान पैग़म्बर (सल्लल लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम) को पहचाना तथा ईश्वर के उज्जवल पद नबूवत से लाभान्वित हुए।[1]
कुमैल अमीरुलमोमेनीन[2] और हजरत मुजतबा[3] अलैहिस्सलाम के प्रिय एंव महान साथी है।[4]
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम के 10 विश्वासीय साथीयो मे से एक कुमैल है जो सिफ़्फ़ीन के युद्ध मे अमीरुल मोमेनीन साथ थे।[5]
कुमैल अमीरुल मोमेनीन के महान शियो, आशिक़ो और प्रेमियो मे से थे।[6]
जारी
[1] قَد أَدرَکَ مِنَ الحَیاۃِ النَّبَوَیَّۃ ثَمَانِیَ عَشَرَۃَ سَنَۃً
क़द अदरका मिनल हयातिन्नबावियते समानिया अशरता सनतन (अलअसाबा, भाग 5, पेज 286)
[2] अमीरुलमोमेनीन शिया समप्रदाय के प्रथम नेता (इमाम) अली की एक उपाधी है। (अनुवादक)
[3] मुजतबा, शिया समप्रदाय के दूसरे नेता -अली के सबसे बड़े पुत्र- हसन की उपाधी है। (अनुवादक)
[4] मुसतदरेकाते इल्मुल रेजाल, भाग 6, पेज 314
[5] अलइसाबा, भाग 5, पेज 486, अलबिदाया वन्निहाया, भाग 9, पेज 47, तारीख़े तबरी, भाग 11, पेज 664, अत्तबक़ातुल कुबरा (इब्ने सअद), भाग 6, पेज 217
[6] इरशादुल क़ुलूब, भाग 2, पेज 226, बिहारुल अनवार, भाग 33, पेज 399, अध्याय 33, हदीस 620