एक दिन हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम कवच बना रहे थे कि उनके पास हकीम लुक़मान पहुंच गए। हकीम लुक़मान उनके पास ख़ामोशी से बैठ कर हज़रत दाउद को देखने लगे। काम ख़त्म होने पर हज़रत दाउद ने कहाः कितना अच्छा कवच है! सौ तलवारों का मुक़ाबला कर सकता है। उसके बाद उन्होंने हज़रत लुक़मान को देखते हुए पूछाः जानते हैं क्या है? लुक़मान हकीम ने कहाः जी हां। हज़रत दाऊद ने कहाः अगर जानते हैं तो बताएं? हकीम लुक़मान ने कहाः लोहे का लिबास जंगजुओं के लिए ताकि ज़ख़्मों से बचे रहें। हज़रत दाऊद ने कहाः यह बात आपने किससे सुनी, किसने आपको बताया? हकीम लुक़मान ने कहाः मेरे उस्ताद ने। हज़रत दाऊद ने कहाः आपका उस्ताद कौन है? हकीम लुक़मान ने जवाब दियाः मेरी ख़ामोशी।