पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
इस लेख से पूर्व हमने पापो के बुरे प्रभाव से समबंधित पवित्र क़ुरआन के कुच्छ छंदो का उल्लेख किया था। जिसकी अंतिम छंद मे यह बात कही गई थी किः
مَثَلُ الَّذِينَ كَفَرُوا بِرَبِّهِمْ أَعْمَالُهُمْ كَرَمَاد اشْتَدَّتْ بِهِ الِّريحُ فِي يَوْم عَاصِف لاَّ يَقْدِرُونَ مِمَّا كَسَبُوا عَلَى شَيْء ذلِكَ هُوَ الضَّلالُ الْبَعِيدُ
मसलुल्लज़ीना कफ़रू बेरब्बेहिम आमालाहुम करमादिश्तद्दत बेहिर्रिहो फ़ी योमिन आसेफ़िल ला यक़दरूना मिम्मा कसाबू अला शैइन ज़ालेका होवज़्ज़लालुल बईदो[1]
जिन व्यक्तियो ने अपने ईश्वर का इनकार किया उनके कर्मो का उदाहरण उस राख के समान है जिसे अंधेड़ के दिन का तुफ़ान उड़ा कर ले जाए तथा वो लोग अपने प्राप्त किए हुए पर भी अधिकार नही रखेंगे, और यही दूर तक फैली हुई गुमराही है। तथा इस लेख मे और उसके बाद के तीन चार लेखो मे आप को पापो के बुरे प्रभाव हज़रत इमाम ज़ैनुलआबेदीन अलैहिस्सलाम के विस्तृत कथन मे अध्ययन करने को मिलेगा।
इस प्रकार के क़ुरआनी छंदो से यह स्पष्ट होता है कि पापो के बुरे प्रभाव निम्नलिखित प्रभावो से अधिक है।
जैसेः
नरक मे जलना, अनन्त पीड़ा, लोक एंव प्रलोक मे घाटे उठाना, मानव के सम्पूर्ण परिश्रम का बरबाद हो जाना, प्रलय (क़यामत) के दिन अच्छे कर्मो का नष्ट हो जाना तथा कर्मो की लीब्रा (तराज़ू) का समपन्न ना होना, पश्चाताप ना करने के कारण पापो का अधिक होना, ईश्वर के शत्रुओ की ओर दौड़ना, मानव से ईश्वर का समबंध समाप्त हो जाना, प्रलय मे पवित्र ना होना, निर्देश का दिशाहीनता मे परिवर्तित हो जाना, परमात्मा की क्षमा के बदले ईश्वरीय दंड का निर्धारित होना।
हज़रत इमाम ज़ैनुलआबेदीन[2] (अलैहिस्सलाम) विस्तृत कथन मे पापो के बुरे प्रभाव से समबंधित इस प्रकार कहते हैः
नियामतो को परिवर्तित करने वाले पापः लोगो पर अत्याचार करना, अच्छे कर्मो को त्यागना, पुण्य करने से दूरी करना, नियामतो को नकारना तथा ईश्वर का शुक्र ना करना।
जारी