पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
इस से पूर्व दो रिवायत बयान की इस लेख मे हम इमाम हुसैन के उस उत्तर को प्रस्तुत कर रहे है जो कि उन्होने एक वयक्ति की इच्छानुसार उसको उपदेश दिया था।
एक व्यक्ति ने इमाम हुसैन –शिया समप्रदाय के तीसरे इमाम- (अलैहिस्सलाम) की सेवा मे आकर प्रश्न कियाः मै एक पापी व्यक्ति हूँ और पाप के विरूद्ध धैर्य नही कर सकता, मुझे उपदेश दें। इमाम हुसैन (अ.स.) ने उत्तर दियाः पाँच कार्य करो, तत्पश्चात जो तेरी इच्छा करे पाप करना।
1- ईश्वर की प्रदान की हुई आजीविका का प्रयोग ना करो, जो इच्छा हो वह पाप करो।
2- ईश्वर की विलायत (प्रांत) से बाहर चले जाओ, तत्पश्चात जो इच्छा करे वह पाप करो।
3- ऐसा स्थान के ईश्वर तुझे ना देखे, उस समय पाप करो।
4- जिस समय यमराज तेरे प्राण लेने तेरे पास आये तो उसे प्राण लेने से रोक तब पाप कर।
5- जिस समय नरक का मालिक तुझे नरक मे भेजे तो नरक मे प्रवेश ना, तत्पश्चात जिस पाप को करने का इच्छुक हो उस पाप को कर।[1]
[1] روي أن الحسين بن علي (عليه السلام) جاءه رجل و قال : أنا رجل عاص و لا أصبر عن المعصية فعظني بموعظة . فقال (عليه السلام) : افعل خمسة أشياء وأذنب ما شئت فأول ذلك لا تأكل رزق الله وأذنب ما شئت والثاني اخرج من ولاية الله وأذنب ما شئت والثالث اطلب موضعا لا يراك الله وأذنب ما شئت والرابع إذا جاء ملك الموت ليقبض روحك فادفعه عن نفسك وأذنب ما شئت والخامس إذا أدخلك مالك في النار فلا تدخل في النار و أذنب ما شئت
रोवेया अन्नल हुसैनब्ना अली (अलैहिस्सलाम) जाआहु रजलुन वक़ालाः अना रजलुन आसिन वला असबेरो अनिलमासीयते फ़अज़्ज़ेनि बेमौएज़तिन, फ़क़ाला (अलैहिस्सलाम) इफ़्अल ख़मसतो अशयाइन वा अज़निब मा शेता फ़अव्वलो ज़ालिक लाताकुल रिज़क़ल्लाहे वअज़निब मा शेता वस्सानी उख़रुज मिन विलायतिल्लाहे वअज़निब मा शेता वस्सालेसो उतलुब मौएज़न लायराकल्लाहो वअज़निब मा शेता वर्राबेओ एज़ा जाअका मल्कुलमौते लेयक़बेज़ा रुहका फ़दफ़ऊ अन्नफ़सेका वअज़निब मा शेता वलख़ामेसो एज़ा अदख़लका मालेकुन फ़िन्नारे फ़ला तदख़ोलो फ़िन्नारे वअज़निब मा शेता।
जामेउल अख़बार, पेज 130 उपदेश मे अध्याय 89, बिहारुल अनवार, भाग 75, पेज 126, अध्याय 20, हदीस 7