कृपया प्रतीक्षा करें

पश्चाताप नैतिक अनिवार्य है 2

पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन

लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान

कृपालु ईश्वर मूसा पुत्र इमरान को संबोधित करके कहता हैः

 

يَابْنَ عِمْرانَ ! هَبْ لِى مِنْ عَيْنَيْكَ الدُّمُوعَ ، وَمِن قَلْبِكَ الخُشُوعَ ، وَمِنْ بَدَنِكَ الخُضُوعَ ثُمَّ ادْعُنى فِى ظُلَمِ اللَّيالِى تَجِدْنى قَرِيباً مُجِيباً

 

यबना इमरान ! हबलि मिन एनैकद्दमूआ, वमिन क़लबेकल ख़शूआ, वमिन बदनेकल ख़ज़ूआ सुम्मा उदओनी फ़ी ज़लमिल्लयाली तजिदनि क़रीबन मोजीबा[१]

इमरान के पुत्र ! मेरी सामने अपनी दोनो आँखो मे आँसू, हृदय की विनम्रता तथा शरीर की विनयशीलता के साथ रात्रि के अंधकार मे मुझे पुकारो तो मुझे अपने समीप और उत्तर देने वाला पाओगे।

क़ुरआन शैतान के समबंध मे कहता हैः

 

قَالَ مَا مَنَعَكَ أَلاَّ تَسْجُدَ إِذْ أَمَرْتُكَ قَالَ أَ نَا خَيْرٌ مِنْهُ خَلَقْتَنِي مِن نَار وَخَلَقْتَهُ مِن طِين * قَالَ فَاهْبِطْ مِنْهَا فَمَا يَكُونُ لَكَ أَنْ تَتَكَبَّرَ فِيهَا فَاخْرُجْ إِنَّكَ مِنَ الصَّاغِرِينَ

 

क़ाला मा मनाअका अल्ला तसजोदा एज़ा अमरतका क़ालो अना ख़ैरुम मिन्हो ख़लक़तनि मिन नारिन व ख़लक़तहू मिन तीन * क़ाला फ़हबित मिनहा फ़मायकूनोलका अनततकब्बरा फ़ीहा फ़ख़रूज इन्नका मिनस्साग़ेरीन[२]

ईश्वर ने शैतान से कहाः तुझे किस कार्यक्रम ने आदम को सजदा करने से रोका जबकि मैने आदेश दिया था और तूने उसका पालन नही किया? शैतान ने उत्तर दिया: मै उससे बेहतर हूँ, मुझे अग्नि से और उसे धूल (मिट्टी) से बनाया है, कहाँ अग्नि और कहाँ धूल (मिट्टी)?

ईश्वर ने शैतान को आदेश दिया कि इस दिव्य स्थान एवं आध्यात्मिक पहचान के योग्य नही हो, तूने गर्व और घमंड किया है, मेरे धर्मस्थल से बाहर होजा क्योकि तू आज्ञाकारि नही है।

 

जारी           



[१]  इद्दतुद्दाई, पेज 207, आदाबे मुताअख्खेरा का तीसरा खंड, बिहारुल अनवार, भाग 13, पेज 361, अध्याय 11, हदीस 78

[२]  सुरए आराफ़ 7, छंद 12-13

टैग :
उपयोगकर्ता टिप्पणियाँ (0)
टिप्पणी भेजें