पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
हमने इस से पहले लेख मे एक हदीस जो छटे इमाम से थी उसका उल्लेख किया था जिसमे उन्होने कहा किः सबसे बुरा मनुष्य घमंडी है चाहे वह किसी भी जाति का हो, घमंड ईश्वर का हक़ है, जो व्यक्ति परमेश्वर के इस अधिकार को अपने लिए समझता है परमेश्वर उस व्यक्ति को ज़लील कर देता है। आज के इस लेख मे दूसरी हदीस मे
इमाम बाक़िर ने कहाः
العِزُّ رِداءُ اللهِ ، وَالْكِبْرُ اِزارُهُ ، فَمَنْ تَنَاوَلَ شَيْئاً مِنْهُ اَكَبَّهُ اللهُ فِى جَهَنَّمَ
अलइज़्ज़ो रिदाउल्लाहे, वलकिबरो एज़ारोहू, फ़मन तनावला शैअन मिनहो अकब्बहुल्लाहो फ़ी जहन्नमा[1]
इज़्ज़त भगवान की महिमा का आवरण, घमंड उसका एज़ार है, जो व्यक्ति इन दोनो मे से किसी एक को प्राप्त करने
का प्रयास करेगा भगवान उसे नरक मे डाल देगा।
विनम्रता के संदर्भ मे रिवायतो मे पढ़ते हैः
اِنَّ فِى السَّماءِ مَلَكَيْنِ مُوَكَّلَيْنِ بِالعِبادِ فَمَنْ تَواضَعَ للهِ رَفَعاهُ وَمَنْ تَكَبَّرَ وَضَعاهُ
इन्ना फ़िस्समाए मलाकैने मोवक्केलैने बिलएबादे फ़मन तवाज़आ लिल्लाहे रफ़आहो वमन तकब्बरा वज़आहो[2]
बेशक आकाश मे दो स्वर्गदूत है जिन्हे मानव के लिए निर्धारित किया गया है जो व्यक्ति भगवान के प्रति विनम्र और ख़ाकसार रहेगा भगवान उसको बडा बना देगा (अर्थात सम्मानित करेगा) और जो व्यक्ति घमंड करेगा भगवान उसको अपमानित करेगा।
जारी
[1] काफ़ी, भाग 2, पेज 309, बाबुल किब्र (घमंड का अध्याय), हदीस 3; सवाबुल आमाल (कर्मो का पुण्य), पेज 221 अक़ाबिल मुताकब्बिर (घमंडी की सज़ा); बिहारुल अनवार, भाग 70, पेज 213, अध्याय 130, हदीस 3
[2] काफ़ी, भाग 2, पेज 122, बाबे तवाज़ो (विनम्रतता का अध्याय), हदीस 2; मिशकातुल अनवार, पेज 227, विनम्रता मे दूसरा खंड; बिहारुल अनवार, भाग 70, पेद 237, अध्याय 130, हदीस 44