इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने फ़रमायाः ऐसे कुछ लोग हैं जो दुनिया के लालची हैं और उन्हों ने अपनी ख़ाहिशात को भी हासिल कर लिया हैं यहाँ तक कि उस काम का अंजाम बद नसीबी और नाकामी है। इसी के साथ ऐसा भी होता है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आख़ेरत के कामों से कतराते हैं और उन को हासिल भी कर लेते हैं लेकिन उसी के ज़रिये ख़ुशनसीबी भी हासिल कर लेते हैं। (बिहारुल अनवार)
हज़रत ने फ़रमायाः मैं तुम्हें पाँच चीज़ों की सिफ़ारिश करता हूः-
1-अगर तुम पर ज़ुल्म किया जाये तो तुम बदले में ज़ुल्म न करो,
2-अगर तुम्हारे साथ धोका किया जाये तो तुम धोका न देना,
3-अगर तुम्हें झुटलाया जाये तो तुम नाराज़ न होना,
4-अगर तुम्हारी तारीफ़ की जाये तो तुम ख़ुश न होना,
5-अगर तुम्हें बुरा कहा जाये तो तुम बेचैनी का इज़हार न करना। (बिहारुल अनवार दारे एहया अर्बी जिल्द 5 सफ़्हा 167)
हज़रत ने फ़रमायाः अच्छी बातें चाहे जिस से भी हों, चाहे उस पर अमल न किया जाये फिर भी सीख लो, (बिहारुल अनवार दारे एहया अर्बी जिल्द 5 सफ़्हा 170)
हज़रत ने फ़रमायाः कोई भी चीज़ ऐसी चीज़ से मिली नहीं है जो कि इल्म के साथ हिल्म जैसी मिला हो। (बिहारुल अनवार दारे एहया अर्बी जिल्द 5 सफ़्हा 172)
इमाम ने फ़रमायाः दुनिया और आख़ेरत की 3 नैक ख़ासियते हैं।
1-अगर किसी मे तुम र ज़ुल्म किया तो उसे माफ़ कर दो,
2-अगर किसी ने तुम से नाता तौड़ा है तो तुम उस से ताअल्लुक़ात रखो।
3-और जब तुम्हारे साथ ग़सत सुलूक कियाजाये तो सब्र करो। ((बिहारुल अनवार दारे एहया अर्बी जिल्द 5 सफ़्हा 173
इमाम ने फ़रमायाः ख़ुदा वन्दे आलम को यह बात बिल्कुल पसन्द नहीं है कि लोग एक दूसरे से अपनी ख़ाहिशात की ज़िद करें लेकिन ख़ुदा को यह पसन्द है कि लोग उस से अफनी ख़ाहिशात के लिये ज़िद करें (बिहारुल अनवार दारे एहया अर्बी जिल्द 5 सफ़्हा 173)
इमाम ने फ़रमायाः जिस आलिम के इल्म से फ़ाएदा उठाया जाये वोह 70 हज़ार इबादत करने वालों से अफ़ज़ल है। (बिहारुल अनवार दारे एहया अर्बी जिल्द 5 सफ़्हा 173)
इमाम ने फ़रमायाः जिस की नियत नैक होगी उसके रिज़्क़ में बढ़ोतरी होगी। (बिहारुल अनवार दारे एहया अर्बी जिल्द 5 सफ़्हा 175)
इमाम ने फ़रमायाः जो भी अपने घर वालों से अच्छा बरताओ करेगा ख़ुदा वन्दे आलम उस की उम्र में इज़ाफ़ा करेगा। (बिहारुल अनवार दारे एहया अर्बी जिल्द 5 सफ़्हा 175)
इमाम ने फ़रमायाः सुसती और बेचैनी से बचो यह दौनों हर बुराई की जड़ हैं। जो कोई अपने काम में सुसती करेगा वोह दूसरों के काम अंजाम नहीं दे सकता। और जो कोई बेचैन होगा वोह हक़ पर सब्र नहीं कर सकता। (बिहारुल अनवार दारे एहया अर्बी जिल्द 5 सफ़्हा 175)
इमाम ने फ़रमायाः रिशतेदारों से अच्छा बरतो, इंसान के अमल को पाकीज़ा बनाता है, दौलत में इज़ाफ़ा करता है, मुशकिलों को दूर करता है, आख़ेरत के हिसाब को आसान बनाता है, और मौत को टालता है। (बिहारुल अनवार दारे एहया अर्बी जिल्द 5 सफ़्हा 111)
source : welayat.in