Hindi
Wednesday 27th of November 2024
1
نفر 0

ब्रह्मांड 8

ब्रह्मांड 8

पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन

लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान

 

इस के पूर्व लेख मे हमने इस बात का स्पष्टीकरण करने का प्रयत्न किया कि ! यह संसार इतना ही बड़ा है जितना एक सूक्ष्म कण होता है जिस प्रकार मनुष्य एक कण की सीमा तक नही पहुँच सकता उसी प्रकार वह संसार की सीमा तक नही पहुँच सकता है, इसकी सीमा रेखा का तय करना मानव जाति के वश से बाहर है। प्रकाश तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकंण्ड आश्चर्यजनक गति के साथ दौड़ता है, तथा इस गति के दृष्टिगत (मद्देनज़र) हमारे निकट सितारे के प्रकाश को हम तक पहुँचने मे चार वर्ष का समय लग सकता है। कालीफ़ोर्निया की एक दूरबीन (Telescope) जिसके लैंस की मोटाई पाँच मीटर है, उसके माध्यम से ऐसे सितारो का पता लगाया गया है जो हम से इतनी दूरी पर स्थित है कि उनके प्रकाश को हम तक पहुँचने मे एक हज़ार मिलयन वर्ष का समय लग सकता है। तथा आज के इस लेख मे इस बात का अध्ययन करने को मिलेगा कि यदि मनुष्य आज कल की टैक्नालोजी से बनी हुई दूरबीनो के माध्यम से भी उपस्थित सितारो की गणना करने मे असम्क्ष है।

सितारो की संख्या यदि इन दूरबीनो के माध्यम से देखी जाए तो इन सितारो की संख्या उनसे भी अधिक है यदि 100 वर्षो तक दिन और रात उनकी गणना करे तथा एक सितारे की गणना करने मे एक सैकंण्ड का समय लगे तब भी इस अवधि मे सम्पूर्ण सितारो की गणना नही की सकती।

आकाशगंगा अत्यधिक बड़ा दायरा है जिसका मध्य भाग बहुत मोटा है जिसमे हज़ार मिलयन सितारे होते है, जिसकी लम्बाई एक लाख नूरी साल के समान है तथा उसके केंद्र की चौड़ाई बीस हज़ार नूरी साल के समान है।

यदि आज कल की बड़ी से बड़ी प्रचलित दूरबीनो के माध्यम से आकाश पर उपस्थित आकाशगंगाओ को देख सके तो एक अनुमान के अनुसार इस ब्रह्मांड मे 150 आकाशगंगा पाई जाती है, तथा प्रत्येक आकाशगंगा एक दूसरे से दो मिलयन नूरी साल की दूरी पर है।[1]

प्रिय पाठको! यह सब उस अज्ञात (नाशनाख्ता) संसार का एक भाग है जो आज कल की प्रचलित दूरबीनो के माध्यम से देखा जा सकता है, परन्तु ब्रह्मांड की अधिकांश वस्तुए दूरबीनो के माध्यम से भी नही देखी जा सकती, अतः इस संसार की सीमा रेखा को तय करने मे मनुष्य का ज्ञान समक्ष नही है, तथा उनके ख़ालिक के अतिरिक्त कोई दूसरा उनकी हक़ीक़त से सूचित नही हो सकता।

अमीर अलैहिस्सलाम के कथन अनुसारः सभी प्रणी ईश्वर की कृपा एंव दया के छाया मे है, वह दया जिसके कारण सभी प्रणीयो की रचना हुई तथा उनमे रुश्द और विकास हुआ और उन तक उनका आवश्यक आहार पहुँचाया गया तथा हानिकारक पदार्थो को दूर रखा गया।



[1] उफ़ुक़े दानिश, पेज 89-94

1
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

क़ुरआन
आदर्श जीवन शैली-६
चेहलुम के दिन की अहमियत और आमाल
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम
इमाम सज्जाद अलैहिस्सलमा का जन्म ...
म्यांमार अभियान, भारत और ...
मोमिन की नजात
पैग़म्बरे इस्लाम (स.) के वालदैन
शेख़ शलतूत का फ़तवा
ख़ुत्बाए फ़ातेहे शाम जनाबे ज़ैनब ...

 
user comment

Mehmet
That's the perfect insight in a trhead like this.
پاسخ
0     0
2013-05-04 05:22:29