पुस्तकः पश्चाताप दया की आलिंग्न
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
وَضَرَبَ اللَّهُ مَثَلاً لِلَّذِينَ آمَنُوا امْرَأَةَ فِرْعَوْنَ إِذْ قَالَتْ رَبِّ ابْنِ لِي عِندَكَ بَيْتاً فِي الْجَنَّةِ وَنَجِّنِي مِن فِرْعَوْنَ وَعَمَلِهِ وَنَجِّنِي مِنَ الْقَوْمِ الظَّالِمِينَ
“वा ज़राबल्लाहो मसालन लिललज़ीन आमानू इम्रअता फ़िरऔना इज़ क़ालत रब्बिबने ली इनदका बैतन फ़ील जन्नते वानज्जेनी मिन फ़िरऔना वा अम्लेही वा नज्जेनी मिनल क़ौमिज़्ज़ालेमीन”[1]
और ईश्वर ने विश्वासीयो हेतु फ़िरऔन की पत्नि का उदाहरण दिया है कि उसने प्रार्थना की कि पालनहार मेरे लिए स्वर्ग मे एक घर बना दे और मुझे फ़िरऔन तथा उसके दरबारियो से बचा ले और इस पूरी अत्याचारी क़ौम से निजात प्रदान कर।
पश्चाताप, विश्वास, धैर्य तथा दृढ़ता के कारण इस महान स्त्री का स्थान उस ऊचाई पर पहुचा हुआ था कि ईश्वरी दूत हज़रत मुहम्मद सललल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम ने उनके संदर्भ मे कहाः
اِشْتاقَتِ الْجَنَّةُ اِلى اَرْبَع مِنَ النِّساءِ : مَرْيَمَ بِنْتِ عِمْرانَ ، وَآسِيَةَ بِنْتِ مُزاحِم زَوْجَةِ فِرْعَونَ ، وَخَدِيجَةَ بِنْتِ خُوَيْلِد زَوْجَةِ النَّبِىِّ فِى الدُّنْيَا وَالآخِرَةِ ، وَفاطِمَةَ بِنْتِ مُحَمَّد
इश्ताक़ातिल जन्नतो एला अरबइन मिनन्निसाएः मरयमा बिन्ते इमराना, वा आसियता बिन्ते मुज़ाहेमिन ज़ौजते फ़िरऔना, वा ख़दीजता बिन्ते खुवैलदिन ज़ौजतिन नबिये फ़िद्दुनिया वल आख़ेरते, वा फ़ातेमता बिन्ते मुहम्मदिन[2]
जन्नत (स्वर्ग) चार महिलाओ, इमरान की पुत्रि मरयम, मुज़ाहिम की पुत्रि फ़िरऔन की पत्नि आसिया, ख़ुवैलिद की पुत्रि लोक एंव परलोक मे ईश्वर दूत हज़रत मुहम्मद सललल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम की पत्नि ख़दीजा तथा मुहम्मद सललल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम की पुत्रि फ़ातेमा की मुश्ताक़ है।