पुस्तक का नामः पश्चाताप दया की आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारियान
एक सज्जन पुरूष को बहुत अधिक रोता हुआ देखा गया तो लोगो ने उससे रोने का कारण पूछा उसने उत्तर दियाः यदि ईश्वर ने मुझ से कहा कि तुझे पापो के कारण गरम हम्माम मे सदैव के लिए क़ैद कर दूंगा, तो यही काफ़ी है कि मेरी आँखो के आंसू सूख ना जाए लेकिन क्या किया जाए कि उसने पापीयो को नर्क की यातना के योग्य बनाया है, वह नर्क जिसकी आग को हज़ार वर्षो तक दहकाया गया कि वह लाल हुई, हज़ार वर्षो तक सफेद किया गया, तथा हज़ार वर्षो तक उसको फूंका गया कि वह काली हो गई, तो फिर मै उसमे कैसे रह सकता हूँ इस यातना से मोक्ष की आशा केवल ईश्वर के दरबार मे पश्चाताप और माफ़ी है।[1]