पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारीयान
सहीफ़ए सज्जादिया की प्रार्थना नम्बर 13 मे वर्णन हुआ हैः
तूने प्राणियो को गरीबी की ओर निस्बत दी है वास्तव मे वे तेरे मोहताज है इस वंश जो व्यक्ति अपनी आवश्यकता को तेरे दरबार से पूरा करने एंव अपने नफ़्स से गरीबी को तेरे द्वारा दूर करने का इच्छुक है उसने अपनी हाजत (आवश्यकता) को उसकी मंजिल से प्राप्त किया तथा लक्ष्य तक सही मार्ग से आया है और जिसने भी अपनी हाजत का रुख तेरे अलावा किसी दूसरे की ओर मोड़ा अथवा सफ़लता का रहस्य तेरे अतिरिक्त किसी दूसरे को दिया तो उसने महरूमी का सामान उपलब्ध कर लिया है और तेरे दरबार से एहसानात के समाप्त हो जाने का अधिकार पैदा कर लिया है। हे प्रभु मेरी तेरे दरबार मे एक ऐसी हाजत (विंती) है जिस से मेरा प्रयास असमर्थ है तथा मेरी रणनीती भी समाप्त हो गई है और मुझे नफ़्स ने वरग़लाया है कि मै उसे ऐसे लोगो के पास ले जाऊं जो स्वयं ही अपनी विनतीया तेरे पास लेकर आते है और अपनी आवश्यकता मे तुझ से अलग नही हो सकते है तथा ये ख़ता करने वालो की लग़ज़िशो मे से एक लग़ज़िश है तथा पापो की ठोकरो मे से एक ठोकर है इसके पश्चात तेरे अनुस्मारक के माध्यम से मै लापरवाही से मै चौक पड़ा तथा तेरी तौफ़ीक़ की सहायता से अपनी लग़ज़िश से उठ खड़ा हुआ और तेरे मार्गदर्शन से अपनी ठोकर से पलट गया तथा मैने तुरंत घोषणा कर दी कि मेरा पालनहार पवित्र है कोई मोहताज किसी दूसरे मोहताज से कैसे प्रश्न कर सकता है और फ़क़ीर किसी दूसरे फ़क़ीर की ओर किस प्रकार आकर्षित हो सकता है।
जारी