पुस्तक का नामः पश्चाताप दया की आलंग्न
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारीयान
यह वह रहस्य है जिसे ईश्वर ने प्रत्येक व्यक्ति की फ़ितरत मे छुपा रखा है, इसी रहस्य का बोध ना होना इसलाम के प्रचारको को उम्मीदवारी और दिलदारी देता हुआ कहता हैः कदापि प्रचार एंव प्रभाव से निराश ना होना, मनुष्य किसी भी समय हिदायत पा सकता है, किसी भी समय उसके हृदय मे क्रांति का जन्म हो सकता है तथा आलमे ग़ैब से उसकी मार्गदर्शिता का मार्ग हमवार हो सकता है।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ईश्वर के दरबार मे कहते हैः
اِلهى اِنَّ اخْتِلاَفَ تَدبِيركَ وَسُرْعَةَ طَواءِ مَقادِيرِكَ مَنَعا عِبادَكَ العَارِفِينَ بِكَ عَنِ السُّكونِ اِلى عَطاء ، وَالْيَأْسِ مِنْكَ فِى بَلاَء
इलाही इन्नख़तिलाफ़ा तदबीरेका वा सुरअता तवाए मक़ादीरेका मनाआ ऐबादकलआरेफ़ीना बेका अनिस्सोकूने एला अताइन, वलयासे मिनका फ़ी बलाइन[1]
पालनहार तेरी तदबीर (रणनीति) मे मतभेद, तेरे द्वारा मुक़द्दर की हुई चीज़ो मे शीघ्रता एंव विलंब, तेरे आरिफ़ बंदो (रहस्यवादी सेवको) को प्रदान की हुई चीज़ो पर शांती तथा आपदाओ मे निराश करने से रोक देते है।
शरीर, आत्मा की एक परछाई है, चिंता पर एक हिजाब है, जिस से उसके गाल को छुपाया हुआ है, उसी प्रकार चिंता भी अक़लानी शक्ति के लिए एक हिजाब है जिसने बुद्धि को छुपा रखा है, उसी प्रकार अक़लानी शक्ति भी आत्मा हेतु एक हिजाब है जिसने उसको छुपा रखा है, इन सभी छुपी हुई वस्तुओ से अधिक छुपी हुई मनुष्य की ज़ात मे एक रहस्य है जिसको आत्मा ने छुपा रखा है, जिस स्थान पर किसी भी शक्ति की पहुंच नही है, जिसको कफ़्श करने हेतु कोई शक्ति नही है, यह पर्दे मे छुपी हुई चीज़े एक दूसरी शक्ति द्वारा सामने आती है, पहली छुपी हुई शक्ति चिंता (फ़िक्र) है जिस से मनुष्य मे होश पैदा होता है, चतुर मनुष्य पहले फ़िक्र का अध्यन करते है पर्दे के पीछे से मनुष्य की शक्ल तथा उसकी फ़िक्र को पढ़ते है।
जारी
[1] इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अर्फे (अर्फ़ा इसलामी महीने के अंतिम माह अर्थात बक़रा ईद से एक दिन पूर्व होता है जो कि हजरत मुसलिम पुत्र अक़ील की शहादत का दिन हैः अनुवादक) के दिन की प्रार्थना का एक भाग।