अबना: बहुत ही अफ़सोस है कि आजकल भारत और कश्मीर के विभिन्न अखबारों में सुप्रीम लीडर, इमाम खुमैनी (रह) और इस्लामी क्रांति ईरान के बारे में एक ख़ास साजिश और उद्देश्य के तहत ऐसी खबरें छापी जा रही हैं जिनके पीछे निश्चित ज़ायोनी, वहाबियत और तकफीरी गिरोहों का हाथ है। उनका उद्देश्य ही शिया सुन्नी मतभेद पैदा करके हुकूमत करना है और इन खबरों के फैलाने से इस बात का भी अनुमान लगाया जा सकता है कि कौन से लोग बाहरी देशों विशेष रूप से सऊदी अरब या इस्राईली राज्य से इस काम के लिए डॉलर लेते हैं ताकि अपनी बेदीनी और बेग़ैरती को साबित कर सकें, हम दुनिया के सभी लोगों को बताना चाहते हैं कि विलायत फ़क़ीह हमारी रेड लाइन है और हमारे लिए यह सिर्फ एक आम राजनीतिक और दुनियावी पद नहीं बल्कि उसकी जड़े हमारे विश्वासों से जुड़ी हुई हैं इसलिए विलायत फ़क़ीह और हमारे धार्मिक विश्वासों के बारे में अनुचित शब्दों का प्रयोग करना हमारे विश्वासों पर सीधा हमला करने जैसा है जो अस्वीकार्य है।
आपको सूचित किया जा रहा है कि बहुत अफ़सोस की बात है कि पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया और कुछ अख़बारों में वहाबी और तकफ़ीरी विचारधारा रखने वाले गुट, इस्लामी रिपब्लिक ईरान से दुश्मनी की नियत से तेहरान में अहलेसुन्नत की मस्जिद को ढ़ा दिये जाने पर आधारित एक झूठी और पूरी तरह से बेबुनियाद ख़बर, को हवा दे रहे हैं। जबकि जिन लोगों ने ईरान का सफर किया है वह अच्छी तरह जानते हैं कि ईरान में अहलेसुन्नत हज़रात की 11 हज़ार से ज़्यादा मस्जिदें मौजूद हैं कि जिनमें दसियों लाख अहलेसुन्नत ख़ास तौर से सीस्तान, बलूचिस्तान, कुर्दिस्तान व गुलिस्तान जैसे इलाक़ो में, जमाअत के साथ नमाज़ पढ़ते हैं, सैकड़ों दीनी मदरसे सुन्नी इलाक़ों में अपनी गतिविधियां अंजाम दे रहे हैं और इसके अलावा अहलेसुन्नत हज़रात भी शियों की तरह मजलिसे शूरा-ए-इस्लामी (ईरानी पार्लियामेंट) में नुमाइंदे रखते हैं, मजलिसे ख़ुबरेगान रहबरी (कमेटी जो ईरान के सुप्रीम लीडर को चुनती है) में भी उनके प्रतिनिधि मौजूद हैं और ईरान के सुन्नी बहुल क्षेत्रों में ईरानी सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई की ओर से अहलेसुन्नत मामलों की देखभाल की लिये ख़ास नुमाइंदे भी नियुक्त किये गये हैं।
इसलिये आज जबकि ईरान में शिया और सुन्नी भाईयों के बीच एकता और सद्भाव उच्च स्तर पर मौजूद है, दुर्भाग्यवश दुश्मन कोशिश कर रहा है कि मतभेद पैदा करे। ऐसे हालात में कि जब पिछले चार महीनों में यमन में 15 से ज़्यादा मस्जिदों को ढ़ाया जा चुका है, बहरैन में 20 से ज़्यादा प्राचीन मस्जिदों को शहीद किया गया है और इराक़ व सीरिया में आईएस आतंकवादियों के हाथों सैकड़ों मस्जिदों, नबियों और वलियों के मज़ारों को डायनामाइट द्वारा उड़ा दिया गया है, इन अख़बारों एंव साइटों ने इन जैसी ख़बरों को कवरेज नहीं दिया जबकि ईरान में एक मस्जिद के ढ़ाए जाने की झूठी ख़बर को हवा दे रहे हैं इनका उद्देश्य केवल मुसलमानों में मतभेद पैदा करने के अलावा क्या हो सकता है?
आज हिंदुस्तान में शिया और सुन्नी भाईयों के बीच एकता और सद्भाव पहले से ज़्यादा ज़रूरी व वाजिब है और हमें आईएस व अल-क़ायदा जैसे कट्टरपंथी गिरोहों के मुक़ाबले में कि जिनका उद्देश्य केवल व केवल इस्लाम को नुक़सान पहुंचाना है, एकजुट रहना चाहिये। इसलिये हमें होशियार व बेदार रहने की ज़रूरत है।
source : abna