लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के महासचिव ने कहा है कि अमरीका और उसके घटकों ने प्रतिरोध के जज़्बे और संकल्प को तोड़ने के लिए इलाक़े में तकफ़ीरी और आतंकी गुटों को पैदा किया है।
सैयद हसन नस्रुल्लाह ने फ़िलिस्तीनी में ज़ायोनी शासन के गठन के दिन नकबा दिवस के उपलक्ष्य में गुरुवार को अपने भाषण में कहा कि 1948 में फ़िलिस्तीन में जो कुछ हुआ और इस समय क्षेत्र में जो कुछ हो रहा है उसमें काफ़ी अंतर है। इस समय कुछ एेसे गुट हैं जो 1948 जैसी स्थिति को रोकने के लिए प्रतिरोध कर रहे हैं। उन्होंने पश्चिम द्वारा मध्यपू्र्व के इलाक़े में आतंकी गुटों के समर्थन के बारे में कहा कि हिलेरी क्लिंटन ने वर्ष 2009 में अमरीकी कांग्रेस में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया था कि वाॅशिंग्टन ने बीस साल पहले, आतंकी गुट अलक़ाएदा की आर्थिक मदद की थी।
हिज़्बुल्लाह संगठन के महासचिव ने कहा कि जब आतंकी गुट दाइश युद्ध के मैदान में हारता है तो इसका बदला सीरिया, इराक़ और लेबनान में आम नागरिकों से लेता है। उन्होंने कहा कि दाइश बग़दाद में बच्चों और महिलाओं का जनसंहार करके गर्व महसूस करता है। उन्होंने कहा कि जब दाइश को पालमीरा में हार का मुंह देखना पड़ता है तो वह दमिश्क़ में बम विस्फोट करता है, जब उसे पूर्वी लेबनान के पर्वतीय क्षेत्रों में पराजय होती है तो वह बैरूत की इमारतों को निशाना बनाता है।
सैयद हसन नस्रुल्लाह ने कहा कि अमरीका, इस्राईल और पश्चिम को इस क्षेत्र में केवल एक समस्या है और वह है प्रतिरोध का मोर्चा, जिसमें ईरान, सीरिया और लेबनान व फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधकर्ता गुट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिम को मुसलमानों से समस्या नहीं है बल्कि उसे उन लोगों व संगठनों से समस्या है जो फ़िलिस्तीन पर इस्राईल के क़ब्ज़े को स्वीकार नहीं करते। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश चाहते हैं कि दाइश, ईरान की सभी सीमाओं तक पहुंच जाए और सऊदी सरकार यह काम अंजाम देने की कोशिश कर रही है। सैयद हसन नस्रुल्लाह ने कहा कि क्षेत्र में चल रहा युद्ध, शिया-सुन्नी युद्ध नहीं है बल्कि यह प्रतिरोध के आंदोलन को रोकने की कोशिश है।
source : abna24