रांस की एक महिला सिनेटर का कहना है कि सऊदी अरब ने विश्व मंच पर ईरान की वापसी को रोकने के लिए क़दम ब क़दम विध्वंसक नीति अपनायी है।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, नताली गोले ने जो फ़्रांस की सिनेट के विदेश, रक्षा और सशस्त्र बल के आयोग की उप प्रमुख भी हैं, ईरान और सऊदी अरब के बीच तनाव शीर्षक के तहत एक नोट में इस मामले की विभिन्न आयामों से समीक्षा की है। उन्होंने लिखा, “ईरान-सऊदी अरब के बीच धार्मिक व वैचारिक मतभेद के पीछे, एक प्रकार की रस्साकशी, घमंड से भरा वर्चस्ववाद और आर्थिक संघर्ष छिपा है। फ़ार्स खाड़ी के तटवर्ती देश और उनमें सबसे आगे सऊदी अरब ने अभी तक ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को स्वीकार नहीं किया है और इस संदर्भ में वे अभी भी अमरीका से अप्रसन्न हैं।”
फ़्रांसीसी सेनेटर ने कहा कि सऊदी अरब इस बात को अच्छी तरह समझता है कि शासन विरोधी एक शीया धर्मगुरु को मृत्युदंड से न सिर्फ़ तेहरान की सड़कों पर आक्रोश फूट पड़ेगा बल्कि बहरैन, यमन और लेबनान के शिया मुसलमानों में भी आक्रोश फूट पड़ेगा। यह सऊदी अरब की ओर से एक सुनियोजित हरकत थी जिसका लक्ष्य अपने सबसे बड़े प्रतिस्पर्धी ईरान को उकसाना था।
source : abna24