Hindi
Tuesday 26th of November 2024
0
نفر 0

सोशल नेटवर्क पर नामहरमों से चैट के बारे में आयतुल्लाह सीस्तानी का फ़तवा

हम यहा पर मोमिनों की तरफ़ से किये गए प्रश्नों और आयतुल्लाह सीस्तानी के उत्तर को बयान कर रहें हैं?????? प्रश्न टेक्नालोजी की तरक़्क़ी और इन्टरनेट एवं सोशल नेटवर्क के कारण इस्लामी समाज में बहुत सारे परिवारिक मसले पैदा हो रहे हैं जिनको यहां बयान करना आवश्यक
सोशल नेटवर्क पर नामहरमों से चैट के बारे में आयतुल्लाह सीस्तानी का फ़तवा

हम यहा पर मोमिनों की तरफ़ से किये गए प्रश्नों और आयतुल्लाह सीस्तानी के उत्तर को बयान कर रहें हैं??????
प्रश्न
टेक्नालोजी की तरक़्क़ी और इन्टरनेट एवं सोशल नेटवर्क के कारण इस्लामी समाज में बहुत सारे परिवारिक मसले पैदा हो रहे हैं जिनको यहां बयान करना आवश्यक है

1. क्या यह जायज़ है कि बीवी या लड़की पति या मां बाप की अनुमति के बिना सोशल नेटवर्क पर जिस मर्द से चाहे चैट करे या इसके उलट कोई मर्द या लड़के नामहरम लड़कियों से सम्पर्क स्थापित करें?

2. क्या जब मर्द अपनी बीवी से या माँ बाप अपने बेटे या बेटी से यह पूछें कि इन्टरनेट पर क्या कर रहे हो और वह उत्तर दें कि आपसे कोई मतलब नहीं है दूसरों के निजी कार्यों में आपको टांग अड़ाने का कोई हक़ नहीं है। तो क्या यह कार्य सही है ?

3. क्या पति या माता पिता को यह हक़ प्राप्त है कि जब बीवी या संतान इन्टरनेट पर गुप्त सम्पर्क स्थापित करें तो वह उन्हें इस कार्य से रोकें? दूसरे शब्दों में ऐसे मामलों में पति या माता पिता का क्या दायित्व है?


आयतुल्लाह सीस्तानी का उत्तर

नामहरम मर्द और औरत का एक दूसरे को एस एम एस करना या वाइस चैट के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करना शरई तौर से जायज़ नहीं है मगर आवश्यकता की हद तक। और सही नहीं है कि औरत या संतान इस प्रकार से सोशल नेटवर्क पर चैट करें कि वह मर्द या माता पिता की निगाहों में संदिग्ध हो जाएं। बल्कि कुछ स्थानों पर यह कार्य हराम है, जैसे कि अगर बीवी का कार्य इतना अधिक संदिग्ध हो ओक़ला (समाज) की निगाह में यह पति को अधिकारों के विरुद्ध हो या संतान का यह कार्य माता पिता की परेशानी और चिंता का कारण हो तो हराम है।
और अगर मसले का हल पति या माता पिता को चैट का मैटर दिखानें से निकलता हो तो अगर ऐसा करने में कोई आपत्ति न हो तो यह कार्य करना ज़रूरी है।
यह जान लेना आवश्यक है कि पति पत्नी के मुक़ाबले में और माता पिता संतान के मुक़ाबले में कुछ शरई दायित्व रखते हैं। ईश्वर फ़रमाता हैः

(یَا أَیُّهَا الَّذِینَ آمَنُوا قُوا أَنفُسَکُمْ وَأَهْلِیکُمْ نَارًا وَقُودُهَا النَّاسُ وَالْحِجَارَةُ عَلَیْهَا مَلَائِکَةٌ غِلَاظٌ شِدَادٌ لَا یَعْصُونَ اللَّهَ مَا أَمَرَهُمْ وَیَفْعَلُونَ مَا یُؤْمَرُونَ)

हे इमान वालों अपने आप को और अपने परिवार वालों को उस आग से बचाओ जिसका ईंधन इन्सान और पत्थर होंगे, उसपर सख़्त मिज़ाज फ़रिश्ते मुक़र्रर हैं जो ईश्वर के आदेशों की अवहेलना नहीं करते हैं और जे उन्हें आदेश मिलता है उसे अंजाम देते हैं।


source : alhassanain
0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

बच्चों के साथ रसूले ख़ुदा (स.) का ...
इमामे असकरी अलैहिस्सलाम की शहादत
इमाम ज़ैनुल-आबेदीन अलैहिस्सलाम ...
इमाम हसन (अ) के दान देने और क्षमा ...
इल्म
हक़ निभाना मेरे हुसैन का है,
अमर सच्चाई, इमाम हुसैन ...
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का ...
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का ...
हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम का ...

 
user comment