रान के विदेशमंत्री मुहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने कहा है कि वर्तमान स्थिति में हमारी सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता, पश्चिमी देशों की ओर से जेसीपीओए के क्रियान्वयन की गैरेंटी पर नज़र रखना है।
विदेशमंत्री ने शनिवार को कहा कि ईरान प्रतिबंधों से आज़ाद हो गया, जिसके कारण कुछ देश चिंतित हैं और चूंकि कुछ गुटों व देशों की आदत हो गयी है कि वह ईरानोफ़ोबिया की अपनी नीतियां जारी रखें और आज भी इस प्रयास में हैं कि ईरान को क्षेत्र के लिए ख़तरा बताएं।
विदेश मंत्री ने जेसीपीओए के बाद ईरान के विरुद्ध अमरीका की शत्रुतापूर्ण कार्यवाहियां, समीक्षा योग्य हैं।
उधर गुट निरपेक्ष आंदोलन ने एक बयान में ईरान के सेन्ट्रल बैंक की संपत्ति ज़ब्त करने के लिए अमरीकी सरकार, कांग्रेस और न्यायालय के प्रयासों को रद्द करते हुए इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। गुट निरपेक्ष आंदोलन के इस बयान के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरान के स्थाई प्रतिनिधि ग़ुलाम अली ख़ुशरू ने संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के नाम पत्र में गुट निरपेक्ष आंदोलन के बयान को संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद और महासभा के एक दस्तावेज़ के रूप में जारी किए जाने की मांग की।
इस पत्र में उन्होंने अमरीकी कार्यवाहियों पर आपत्ति जताते हुए बल दिया कि ईरान के सेन्ट्रल बैंक की संपत्ति ज़ब्त करने से संबंधित अमरीका की कार्यवाहियां, एक ऐसा उल्लंघन है जिससे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में अस्थिरता पैदा हो सकती है और क़ानून का राज कमज़ोर पड़ सकता है।
ज्ञात रहे कि अमरीकी अदालत ने 20 अपैल को अपने देश की निचली अदालतों के इस फ़ैसले की पुष्टि की है कि वह मुक़द्दमे की पैरवी करने वाले आतंकवाद का शिकार लोगों के परजनों को ईरान की सील संपत्ति से हर्जाना अदा कर सकती है। यह घराने अमरीका के उन 241 सैनिकों से संबंध रखते हैं जो 1983 में अपने बैरूत हेडक्वाटर में होने वाले बम धमाके में मारे गये थे। 2003 में अमरीका के फ़ेडरल कोर्ट ने एक आदेश में घोषणा की कि हिज़्बुल्लाह को अस्तित्व में लाने में ईरान ने सहायता की है और अमरीका और फ़्रांस की ओर से इस संगठन पर बैरूत में अमरीका के सैन्य ठिकाने पर बम धमाका करने का आरोप लगाया है। अमरीकी विदेशमंत्रालय की ओर से भी अमरीका की फेडरल कोर्ट के आदेश को अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुरुप बताया गया है।
source : abna24