वालेदैन को कोशिश करनी चाहिये कि शुरु से ही अपने बच्चों को अमली तौर पर मुश्किलों से आशना करायें, अलबत्ता इस बात का ख़्याल रखें कि यह काम तदरीजन व धीरे धीरे होना चाहिये। माँ बाप को इस बात पर भी तवज्जो देनी चाहिये कि यह रविश बच्चों से प्यार मुहब्बत के मुतनाफ़ी नही है। सर्वे से यह बात सामने आयी है कि जो वालेदैन अपने बच्चों को बहुत ज़्यादा लाड प्यार की वजह से मेहनत नही करने देते, वह अपने बच्चों की तरबियत में बहुत बड़ी ख़्यानत करते है। क्योंकि लाड प्यार में पलने वाले बच्चे जब अपने घरवालो की मुहब्बत भरी आग़ोश से जुदा हो कर समाजी ज़िन्दगी में क़दम रखते हैं तो उस वक़्त उन्हे मालूम होता है कि उनकी तरबीयत में क्या कमी रह गयी है