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Wednesday 1st of May 2024
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इंसान की आज़ादी

इंसान की आज़ादी

हमारा अक़ीदह यह है कि अल्लाह ने इंसान को आज़ाद पैदा किया है । इंसान अपने तमाम कामों को अपने इरादे व इख़्तेयार के साथ अंजाम देता हैं। अगर हम इंसान के कामों में जब्र के क़ाईल हो जायें तो बुरे लोगों को सज़ा देना उन पर ज़ुल्म,और नेक लोग़ों को इनआम देना एक बेहूदा काम शुमार होगा और यह काम अल्लाह की ज़ात से मुहाल है।

हम अपनी बात को कम करते हैं और सिर्फ़ यह कहते हैं कि हुस्न व क़ुब्हे अक़ली को क़बूल करना और इंसान की अक़्ल को ख़ुद मुख़्तार मानना बहुत से हक़ाइक़,उसूले दीन व शरीअत,नबूवते अम्बिया व आसमानी किताबों के क़बूल के लिए ज़रूरी है। लेकिन जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है कि इंसान की समझने की सलाहियत व मालूमात महदूद है लिहाज़ा सिर्फ़ अक़्ल के बल बूते पर उन तमाम हक़ाइक़ को समझना- जो उसकी सआदत व तकामुल से मरबूत हैं- मुमकिन नही है। इसी वजह से इंसान को तमाम हक़ाइक़ को समझने के लिए पैग़म्बरों व आसमानी किताबों की ज़रूरत है।
 

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