आले मौहम्मद अलैहेमुस्सलाम जो उरूजे फिक्र मे खास मक़ाम रखते है और इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम उन्ही हज़रात मे की एक कड़ी है।
शिया सुन्नी दोनो के उलामा ने लिखा है कि एक दिन इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम एक ऐसी जगह पर खड़े थे जिस जगह कुछ बच्चे खेल रहे थे इत्तिफाक़न उसी वक्त आरिफे आले मौहम्मद जनाबे बहलोल दाना का गुज़र उधर से हुआ। उन्होने ये देखा कि सब बच्चे खेल रहे है।
एक खूबसूरत सुर्ख व सफेद बच्चा खड़ा रो रहा है। जनाबे बहलोल ने इमाम असकरी अलैहिस्सलाम से कहा कि ऐ नोनीहाल मुझे बड़ा अफसोस है कि तुम इसलिऐ रो रहे हो कि तुम्हारे पास वो खिलोना नही है कि जो इन बच्चो के पास है सुनो मै अभी तुम्हारे लिऐ खिलोने लाता हुँ। ये कहना था कि इमाम हसन असकरी ने अपनी कमसिनी के बावजूद फरमाया कि ऐ नासमझ हम खेलने के लिऐ नही पैदा किये गऐ है। हम इल्म और इबादत के लिऐ पैदा किये गऐ है।
जनाबे बहलोल ने पूछाः तुम्हे ये कैसे मालूम हुआ कि हम इल्म और इबादत के लिऐ पैदा किये गऐ है।
तो इमाम ने फरमायाः इसकी हिदायत हमे कुराने मजीद करता है और फिर ये आयत तिलावत फरमाईः
أَ فَحَسِبْتُمْ أَنَّمَا خَلَقْنَا كُمْعَبَثًا وَ أَنَّكُمْ إِلَيْنَا لَاتُرْجَعُونَ
क्या तुम ये गुमान करते हो कि हमने तुम्हे अबस (बेकार) मे पैदा किया है और क्या तुम हमारी तरफ पलट कर नही आओगे।
(सूराऐ मौमेनून आयत न. 115)
ये सुनकर जनाबे बहलोल हैरान रह गऐ और कहने पर मजबूर हो गऐ कि ऐ बेटा फिर तुम्हे क्या हो गया था कि तुम रो रहे थे तुमसे गुनाह का तसव्वुर तो हो नही सकता क्योकि तुम बहुत छोटे हो।
इमाम ने फरमाया कि छोटे होने से क्या होता है मैने अपनी माँ को देखा कि वो बड़ी लकड़ीयो को जलाने के लिऐ छोटी लकड़ीयाँ इस्तेमाल करती है।
(सवाऐक़े मोहर्रेक़ा पेज न. 124)