अफ़ग़ानिस्तान में बच्चों का ख़ौफ़नाक चेहरा पहले शायद ही कभी देखने को मिला हो। बच्चों के इस ख़ौफ़नाक चेहरे के पीछे और कोई नहीं बल्कि इस देश में मौजूद आतंकवादी गुट हैं।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार तकफ़ीरी आतंकवादी गुट अफ़ग़ानिस्तान में बच्चों के साथ जो खेल खेल रहे हैं उसने सबको दहला कर रख दिया। अफ़ग़ानिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन अपने स्वार्थ के लिए बच्चों को चलते फिरते बम या यूं कहें कि सुसाइड बंबर में बदल रहे हैं और सबसे हैरानी बात यह है कि इन बच्चों में कुछ की आयु आठ वर्ष तक है। अफ़ग़ानिस्तान में बच्चों की यह तस्वीर किसी को भी झंकझोरने के लिए काफ़ी है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, आत्मघाती हमलावर बनने वाले या इसकी तैयारी करने वाले करीब 47 बच्चे काबुल में बादाम बाग़ के “जुवेनाइल डिटेंशन सेंटर” में सलाखों के पीछे हैं। इनमें से कुछ को अपने जुर्म के बारे में सही से पता भी नहीं है। इनमें अधिकतर आठ से दस वर्ष की आयु के बच्चे हैं। अफ़ग़ान अधिकारियों के अनुसार देश की सुरक्षा को इन बच्चों से ख़तरा है, इसलिए यह सभी सलाखों के पीछे हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें अपनी गलती का एहसास है और उन्हें इस बात का मलाल भी है। कई बच्चों को इस बात को लेकर दुख है कि उनसे ईद पर मिलने परिवार का कोई भी सदस्य नहीं आया। लेकिन वह इस सबके लिए स्वयं को ही ज़िम्मेदार मानते हैं।
सलाखों के पीछे मौजूद इन 47 बच्चों पर सुसाइड बंबर बनकर धमाके करने का आरोप है। अफ़ग़ानिस्तान की सरकार इस बात को लेकर भी काफ़ी परेशान है कि इन बच्चों को मिली सज़ा के पूरी होने के बाद आख़िर इनका क्या होगा। इन बच्चों को दो से दस वर्ष तक की सज़ा मिली है। अमेरिकी अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक यहां मौजूद बच्चों में जहां आठ वर्ष की आयु के बच्चों के होने की भी बात सामने आई वहीं अधिकारियों की मानें तो यहां पर मौजूद बच्चों की उम्र 12 से 17 वर्ष के बीच है। इनमें से कुछ को सज़ा हो चुकी है तो कुछ का ट्रायल बाक़ी है। इन बच्चों को अलग-अलग जगहों से गिरफ़्तार करके यहां पर लाया गया है। इन बच्चों को सुसाइड बंबर बनाने के पीछे अफ़ग़ानिस्तान में सक्रिय आतंकी गुट हैं।