इस्लामी गणतंत्र ईरान की थल सेना का दो दिवसीय सैन्य अभ्यास शुक्रवार की सुबह या फ़ातेमा ज़हरा के कोडवर्ड के साथ शुरू हुआ।
यह सैन्य अभ्यास मध्य ईरान में इसफ़हान के नस्राबाद इलाक़े में हो रहा है जिसमें स्थानीय रूप से तैयार किए जाने वाले अनेक रक्षा उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा है।
सैन्य अभ्यास के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल नौज़र नेअमती ने कहा कि इस सैन्य अभ्यास में 12 हज़ार सैनिक, बक्तरबंद गाड़ियों और टैंकों की कई युनिटें हिस्सा लेंगी तथा आधुनिक रक्षा उपकरणों का प्रदर्शन किया जाएगा।
सैन्य अभ्यास में 1577 तोपों को प्रयोग किया जा रहा है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान ने देश में इस्लामी क्रान्ति की सफलता के बाद हमेशा यह साबित किया है कि वह रक्षा के क्षेत्र पर भरपूर ध्यान दे रहा है तथा स्थानीय तकनीक विकसित करके ख़ुद को आत्म निर्भर बना चुका है। इसके साथ ही ईरान ने यह कहा भी है और साबित भी किया है कि उसकी सैन्य शक्ति केवल आत्म रक्षा के लिए है अतः इससे क्षेत्र के किसी भी देश को कोई ख़तरा नहीं है। इसके साथ ही ईरान ने अपनी रक्षा शक्ति की मदद से यह भी साबित किया है कि बाहरी शक्तियों को इस इलाक़े में मनमानी की अनुमति कदापि नहीं दी जाएगी।
इस्लामी गणतंत्र ईरान का सैद्धांतिक स्टैंड यह है कि क्षेत्र की सुरक्षा तथा अन्य मामलों को क्षेत्र के देशों के हाथों हल किया जाना चाहिए इसमें बाहरी शक्तियों को हस्तक्षेप का मौक़ा नहीं देना चाहिए। अमरीका, फ़्रांस और ब्रिटेन जैसी बाहरी शक्तियों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह किसी भी देश में अगर पैठ जमाने में कामयाब हुए तो तत्काल उसके आंतरिक मामलो में हस्तक्षेप शुरू कर देते हैं।
इस्लामी गणतंत्र ईरान की सफल रणनीति का नतीजा यह है कि जहां उसने साम्राज्यवादी और वर्चस्ववादी देशों को अपनी रक्षा शक्ति का संदेश दिया है वहीं क्षेत्रीय देशों के साथ तेहरान सरकार ने बहुत अच्छे रणनैतिक स्बंध स्थापित किए हैं। दाइश तथा अन्य आतंकी संगठनों से निपटने में इस्लामी गणतंत्र ईरान ने जिस तरह सीरिया और इराक़ की मदद की और अब भी मदद कर रहा है उसमें क्षेत्रीय देशों ही नहीं बाहर के देशों के लिए भी बहुत सार्थक संदेश है।