आज ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता की 40वीं वर्षगांठ बड़े हर्षो व व उल्लास के साथ मनायी गयी। इस अवसर पर समूचे ईरान में भव्य रैलियां निकाली गयीं।
समूचा ईरान अमेरिका मुर्दाबाद और इस्राईल मुर्दाबाद के नारों से गूंज उठा। ईरान की मुसलमान जनता ने रैलियों में अपनी भव्य उपस्थिति से एक बार फिर इस्लामी क्रांति की आकांक्षाओं के प्रति वचनबद्धता जताई और उज्वल भविष्य की आशा के साथ एकता, एकजुटता और समरसता का अनुपम उदाहरण पेश किया।
इस्लामी क्रांति के शत्रु भी इस वास्तविकता को बहुत अच्छी तरह जानते हैं और इसी कारण उन्होंने अपना सारा ध्यान व प्रयास ईरानी जनता को निराश करने पर केन्दित कर रखा है।
इसी प्रकार इस्लामी क्रांति के शत्रु यह दिखाने का प्रयास कर रहे हैं कि ईरान की मुसलमान जनता इस्लामी क्रांति से थक गयी है परंतु ईरान की मुसलमान जनता ने 22 बहमन की रैलियों में अपनी भव्य उपस्थिति से दुश्मनों के समस्त दुष्प्रचारों पर पानी फेर दिया है।
गत चालिस वर्षों से ईरान पर बहुत से प्रतिबंध लगे हुए हैं परंतु ईरानी राष्ट्र ने इन प्रतिबंधों के बावजूद विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण प्रगति की है और इस अवधि में कोई भी चीज़ ईरानी राष्ट्र के दृढ़ संकल्प के मार्ग की बाधा न बन सकी।
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने कहा कि क्रांति में कुछ उतार- चढ़ाव हुए हैं परंतु इस उतार- चढ़ाव के साथ हमने प्रगति की है और यह इस क्रांति का चमत्कार है।"
बहरहाल इस क्रांति को और आज़माई हुई जनता को दोबारा आज़माना ग़लत है और ईरानी जनता ने स्वतंत्रता व स्वाधीनता के लिए क्रांति की है और उसकी आकांक्षाओं की प्राप्ति और उनमें विकास के लिए यथावत प्रयास करती रहेगी।