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ज़ाहेदान आतंकी हमले पर ईरान की संभावित प्रतिक्रिया क्या होगी? रायुल यौम की समीक्षा

ज़ाहेदान आतंकी हमले पर ईरान की संभावित प्रतिक्रिया क्या होगी? रायुल यौम की समीक्षा

मशहूर अरबी समाचारपत्र रायुल यौम ने अपने एक लेख में ईरानी अधिकारियों के बयान को इस देश में आतंकी हमले करने वाले क्षेत्रीय तत्वों के संबंध में आईआरजीसी की शैली में बुनियादी परिवर्तन बताया है।

लेख में कहा गया है कि कुछ दिन पहले ईरान में हुए आतंकी हमले ने इस देश के अधिकारियों को बता दिया है कि यह ईरान को लक्ष्य बनाने के गंभीर षड्यंत्र का भाग है। ईरान का मानना है कि यह पहला आतंकी हमला नहीं था और आख़री भी नहीं होगा इस लिए आतंकियों से और अधिक कड़ाई से निपटने की ज़रूरत है। रायुल यौम ने इस आतंकी हमले के शहीदों के अंतिम संस्कार में आईआरजीसी के कमांडर मेजर जनरल मुहम्मद अली जाफ़री के बयान की तरफ़ इशारा करते हुए लिखा है कि उन्होंने ईरान में संकट उत्पन्न करने के संबंध में कुछ क्षेत्रीय देशों की भूमिका को रेखांकित किया है और दो टूक शब्दों में कहा है कि अमरीका के इशाराें पर काम करने वाली सऊदी अरब, संयुक्त अरब इमारात और इस्राईल समेत क्षेत्र की रुढ़ीवादी सरकारों के षड्यंत्रों के संबंध में ईरान का संयम अपने अंत को पहुंच चुका है और अब निश्चित रूप से जवाबी कार्यवाही की जाएगी।

 

पत्र ने लिखा है कि जनरल जाफ़री ने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से सऊदी अरब व इमारात से बदला लेने की कार्यवाही की अनुमति मांगी है और कहा है कि आतंकी गुटों के समर्थन के कारण उनसे अवश्य बदला लिया जाएगा। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से मांग की है कि बदले की कार्यवाही के लिए आईआरजीसी का हाथ खुला रखा जाए। आईआरजीसी के कमांडर ने इसी तरह पाकिस्तान सरकार को भी अत्यंत कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि आतंकवादियों को पाकिस्तान सुरक्षा बलों का समर्थन हासिल है और इस अपराध के लिए उसे निश्चित रूप से जवाब देना होगा। रायुल यौम ने लिखा है कि अब तक ईरान ने अपने पड़ोसियों के साथ जो रवैया रखा है, यह उससे बिलकुल अलग है। यह पहली बार है जब ईरानी अधिकारी सीधे सीधे बदले की बात कर रहे हैं और जनरल जाफ़री ने खुल कर सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात का नाम लिया है। आईआरजीसी ने बदले की बात यूंही हवा में नहीं कही है बल्कि ईरानी गुप्तचर विभाग को ईरान विरोधी षड्यंत्रों और रियाज़ व अबू ज़हबी की ओर से इन साज़िशों को व्यवहारिक बनाने के लिए दिए जाने वाले धन की पूरी जानकारी है।

 

पत्र ने लिखा है कि आईआरजीसी के कमांडर ने पाकिस्तान को जो चेतावनी दी है उसका कारण यह है कि जैशुल अद्ल (जैशुज़्ज़ुल्म) नामक आतंकी गुट ईरान पर आतंकी हमलों के लिए पाकिस्तान की धरती का प्रयोग करता है और पाकिस्तानी क्षेत्रों में सऊदी अरब, आईएसआई और अमरीकी गुप्तचर सेवाओं के माध्यम से रियाज़ व इस्लामाबाद की ख़ुफ़िया एजेंसियों को समन्वित करता है ताकि ईरान पर हमले बढ़ाए जा सकें। रायुल यौम ने लिखा है कि ईरान, पाकिस्तान के संबंध में सावधानी से काम करता है और उसका मानना है कि पाकिस्तानी सेना की गुप्तचर सेवा, राजनैतिक तंत्र की आंखों से बच कर, सऊदी अरब व इमारात से सहयोग कर रही है क्योंकि पाकिस्तानी सरकार विशेष कर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ईरान के साथ अपने संबंधों को मज़बूत बनाना चाहते हैं। यही कारण है कि ईरान चाहता है कि इस्लामाबाद, तेहरान के साथ सहयोग करे अन्यथा ईरान को दूसरा मार्ग अपनाना पड़ेगा। पत्र ने अंत में लिखा है कि एेसा प्रतीत नहीं होता कि ज़ाहेदान हमले पर ईरान की प्रतिक्रिया पहले की तरह रक्षात्मक रहेगी क्योंकि अब ईरान के हितों का तक़ाज़ा है कि उसका जवाब ठोस व करारा हो। संभव है कि ईरान उन स्थानों को निशाना बनाए जो सीधे तौर पर उसके ख़िलाफ़ आतंकी हमलों में लिप्त रहे हों। 

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