इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने आईआरजीसी की क़ुद्स ब्रिगेड के कमान्डर जनरल क़ासिम सुलैमानी को “ज़ुल्फ़ेक़ार” सम्मान दिए जाने के कार्यक्रम में कहा कि ईश्वर के मार्ग में संघर्ष का इन चीज़ों से मुक़ाबला नहीं किया जा सकता और इनसे भरपाई नहीं हो सकती।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईश्वर के मार्ग में संघर्ष करने और ईश्वर के मार्ग में अपनी जान व माल को हथेली पर रखने के मुक़ाबले में जो चीज़ होती है वह स्वर्ग है और ईश्वर की मर्ज़ी है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि जो चीज़ें हमारे हाथ और हमारे नियंत्रण है, चाहे वह हमारा ज़बानी आभार हो, चाहे वह हमारी व्यवहारिक आभार हो, चाहे वह हमारा सम्मान व पदक हो, चाहे वह श्रेणी हो जो हम देते हैं, यह चीज़ें हैं जो भौतिक दृष्टि से उल्लेखनीय हैं किन्तु अध्यात्मिक और ईश्वरीय हिसाब किताब से यह चीज़ें उल्लेखनीय नहीं हैं, अल्लाह का शुक्र कि आप सभी ने यह संघर्ष किया और प्रयास किया।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अल्लाह का शुक्र है, ईश्वर ने हमारे प्रिस जनरल क़ासिम सुलैमानी को यह कृपा प्रदान किया, उन्होंने कई बार, कई बार, कई बार अपनी जान दुश्मनों के हमले पर क़रार दिया , ईश्वर के मार्ग में, अल्लाह के लिए, केवल ईश्वर के लिए ही संघर्ष किया, इन्शा अल्लाह ईश्वर उन्हें इसका पारितोषिक दे और उन पर कृपा करे, उनके जीवन को कल्याण, उनके अंत को शहादत क़रार दे, अलबत्ता अभी नहीं, अभी इस्लामी गणतंत्र ईरान को इनसे बहुत काम है, लेकिन बहरहाल उनका अंत इन्शा अल्लाह शहादत हो, इन्शा अल्लाह आपको मुबारक हो।
इस्लामी गणतंत्र ईरान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान “ज़ुल्फ़ेक़ार” ईरान के इतिहास में पहली बार इस्लामी क्रांति संरक्षक बल सिपाहे पासदारान "आईआरजीसी" की क़ुद्स ब्रिगेड के प्रमुख जनरल क़ासिम सुलेमानी को मिला। यह सर्वोच्च सैन्य सम्मान इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद पहली बार इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई के मुबारक हाथों से आईआरजीसी के वरिष्ठ कमांडर जनरल क़ासिम सुलेमानी ने प्राप्त किया। इससे पहले ईरान का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान “फ़त्ह”, तीन बार जनरल क़ासिम सुलेमानी को मिल चुका है।