पश्चिम विशेषकर अमरीका, मानवाधिकारों की आड़ में ईरान से अपनी शत्रुता जारी रखे हुए है।
मानवाधिकारों के बारे में अपनी वार्षिक रिपोर्ट में अमरीका ने दावा किया है कि ईरान में मानवाधिकारों की स्थिति ख़राब हुई है। संसार के विभिन्न देशों के बारे में अपनी वार्षिक रिपोर्ट को अमरीका ने विश्व के देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का साधान बना लिया है। अमरीका के विदेश मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है कि ईरान के भीतर मानवाधिकारों की स्थिति बिगड़ रही है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि मानवाधिकारों के हनन की दृष्टि से अमरीका की स्थिति एसी है ही नहीं कि वह किसी भी देश के बारे में इस संबन्ध में कोई बात कहे क्योंकि वहां की सरकार अमरीका के भीतर और बाहर दोनो स्तर पर खुलकर मानवाधिकारों का हनन करती रहती है।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बहराम क़ासेमी ने मानवाधिकारों के बारे में अमरीकी विदेश मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अमरीकी सरकार, ईरान के संबन्ध में मानवाधिकारों की हनन करने वाली सरकार है। उसने ईरान के विरुद्ध एकपक्षीय ढंग से प्रतिबंध लगाकर ईरानी नागरिकों के मानवाधिकारों का खुलकर हनन किया है। अमरीका की ओर से ईरान में मानवाधिकारों के हनन का दावा किये जाने के साथ ही यूरोपीय संघ ने भी ईरान में मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता का दावा किया है। यूरोपीय संघ की ओर से ईरान में मानवाधिकारों के हनन का दावा एसी स्थिति में किया जा रहा है कि जब पिछले कुछ महीनों के दौरान फ़्रांस की सड़कों पर किये जााने वाले जन प्रदर्शनों का सुरक्षा बलों के हाथों खुलकर दमन किया जा रहा है। इस प्रकार फ्रांस में मानवाधिकारों के हनन पर पश्चिम की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है। पश्चिम विशेषकर अमरीका की ओर से यमन युद्ध में सऊदी अरब का खुला समर्थन और अवैध ज़ायोनी शासन का समर्थन करते हुए फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार को अनेदखा करने जैसी बहुत सी एसी घटनाएं हैं जो पश्चिम की ओर से मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन हैं। इस्लामी गणतंत्र ईरान से पश्चिम की शत्रुता का एक कारण यह भी है कि वह अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर स्वतंत्र रूप में सक्रिय है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि पश्चिम विशेषक अमरीका, ईरान के विरुद्ध प्रचारिक युद्ध के लिए मानवाधिकारों को एक हथकण्डे के रूप में प्रयोग कर रहा है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान, इस्लामी सिद्धांतों और मानवाधिकारों के आधार पर अपने संविधान में मानवाधिकारों के प्रति वचनबद्ध है। एसे में पश्चिम की ओर से मानवाधिकारों की आड़ में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप का वह खुलकर विरोध करता है।