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Friday 3rd of May 2024
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किस हद तक गिरती जा रही हैं सरकारें?!

किस हद तक गिरती जा रही हैं सरकारें?!

दो घटनाएं इस समय अरब और अंग्रेज़ी मीडिया में छायी हुई हैं। एक घटना यह है कि सऊदी अरब अमरीका के मशहूर अरबपती औज्ञ मशहूर अखब़ार वाशिंग्टन पोस्ट के मालिक जेफ़ बेज़ोस के मोबाइल फ़ोन की जासूसी की है।

यह ख़बर अमरीकी वेबसाइट डेली बीस्ट पर प्रकाशित हुई जिसमें बताया गया है कि बड़े विश्वस्त सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि सऊदी अधिकारी अमरीका के अरबपती और अमाज़ोन कंपनी तथा वाशिंग्टन पोस्ट अख़बार के मालिक जेफ़ बेज़ोस के मोबाइल फ़ोन की जासूसी करने में सफल हो गए हैं।

यह भी बताया जा रहा है कि बेज़ोस के मोबाइल के कंटेट सऊदी अधिकारियों ने इलेक्ट्रानिक जासूसी के माध्यम से हासिल कर दिए हैं।

जेफ़ बेज़ोस के ख़िलाफ़ सऊदी अरब ने यह क़दम इस लिए उठाया है कि उनका अख़बार सऊदी अरब के वरिष्ठ पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की निर्मम हत्या और इसमें सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस का हाथ होने के बारे में ख़बरों को व्यापक रूप से कवरेज देता है।

बेज़ोस के सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि सऊदी सरकार बेज़ोस के निजी फ़ोन के कंटेंट को हासिल कर चुकी है और सऊदी सरकार अब वाशिंग्टन पोस्ट अख़बार को ख़ाशुक़जी हत्याकांड में ख़ामोश रहने पर मजबूर करने के लिए बेज़ोस को ब्लैक मेल करने की कोशिश में है।

दूसरी घटना भी सऊदी अरब की सरकार के बारे में है जिसने भारी रक़म देकर ब्रिटेन की सरकार को भी अपने अपराधों में शामिल कर लिया है।

ब्रिटेन के डेली मेल अख़बार में यह ख़बर आई है कि सऊदी अरब और इमारात के लिए ब्रिटेन यमन में बड़े अमानवीय मिशन पर काम कर रहा है। ब्रिटेन यमनी किशोरों को युद्ध की ट्रेनिंग देकर उन्हें इस देश में जारी युद्ध में झोंक रहा है।

डेली मेल ने इस संदर्भ में अपनी सारी जानकारियों संयुक्त राष्ट्र संघ को देने पर सहमति जता दी है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकारियों ने अख़बार से संपर्क करके जानकारियां मांगी थीं।

जिन यमनी बच्चों को ब्रिटेन युद्ध की ट्रेनिंग दे रहा है उनकी उम्र 13 साल से शुरू होती है।

अख़बर ने उन यमनी बच्चों के चित्र भी प्रकाशित किए हैं जिन्हें ब्रिटिश सैनिकों ने ट्रेनिंग दी है। यह भी बताया गया है कि ब्रिटिश सेना के युद्धक विमान संभावित रूप से यमन पर होने वाले बमबारी में भी लिप्त हैं।

रिपोर्ट है कि सऊदी अरब ने यमन में युद्ध के लिए किराए के जो सैनिक हासिल किए हैं उनमें 40 प्रतिशत बच्चे हैं।

सवाल यह है कि अपने स्वार्थों के लिए सरकारें किस हद तक गिरती जा रही हैं?!

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