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इस्राईली कार्यवाहियों का कोई कानूनी आधार नहीं हैः राष्ट्रसंघ

इस्राईली कार्यवाहियों का कोई कानूनी आधार नहीं हैः राष्ट्रसंघ

सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव नंबर 242 पारित करके स्पष्ट रूप से गोलान हाइट्स को अतिग्रहित भूमि की संज्ञा दी है और उसने इस्राईल का गोलान हाइट्स से पीछे हटने और उसे सीरिया के हवाले करने का आह्वान किया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने 25 मार्च को एक आदेश पर हस्ताक्षर करके सीरिया की गोलान हाइट्स को जो इस्राईली भूमि घोषित किया था उस पर प्रतिक्रियाओं का क्रम यथावत जारी है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रंप के कदम का विरोध किया जा रहा है। न केवल रूस और चीन जैसी अंतरराष्ट्रीय शक्तियां बल्कि अमेरिका के यूरोपीय घटक भी ट्रंप के इस कदम का विरोध कर रहे हैं।

यूरोपीय संघ की विदेश नीति आयुक्त फेडरीका मोगरीनी ने इस संबंध में कहा है कि यूरोपीय संघ गोलान हाइट्स पर इस्राईली अतिग्रहण को मान्यता नहीं देता। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ और उसके सदस्यों ने पूरे समन्वय के साथ अंतरराष्ट्रीय कानूनों और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव नंबर 242 और 497 के अनुसार यह निर्णय किया है।

सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव नंबर 242 पारित करके स्पष्ट रूप से गोलान हाइट्स को अतिग्रहित भूमि की संज्ञा दी है और उसने इस्राईल का गोलान हाइट्स से पीछे हटने और उसे सीरिया के हवाले करने का आह्वान किया है।

इसी प्रकार सुरक्षा परिषद ने दिसंबर 1981 में प्रस्ताव नंबर 497 पारित करके गोलान हाइट्स पर इस्राईल के अतिग्रहण का विरोध किया है और इस हाइट्स पर अपने कानून लागू करने हेतु इस्राईली फैसले को आधारहीन बताया और कहा है कि इसका कोई अंतरराष्ट्रीय कानूनी आधार नहीं है।

राष्ट्रसंघ की महासभा ने भी 30 नवंबर 2018 को बहुमत से एक प्रस्ताव पारित करके गोलान हाइट्स से इस्राईल के पीछे हटने का आह्वान किया था और कहा था कि गोलान हाइट्स पर अपने कानून लागू करने हेतु इस्राईली कार्यवाहियों का कोई कानूनी वैधता नहीं है।

इस आधार पर सीरिया की गोलान हाइट्स के बारे में यूरोपीय संघ की विदेश नीति आयुक्त फेडरीका मोगरीनी का जो बयान है वह पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार है। इससे पहले ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी गोलान हाइट्स के बारे में ट्रंप के कदम की भर्त्सना कर चुके हैं।

29 मार्च को फ्रांस के राष्ट्रपति ने इस संबंध में कहा था कि अमेरिका द्वारा गोलान हाइट्स पर इस्राईली शासन को मान्यता देना अंतरराष्ट्रीय कानून के विरुद्ध है और वह क्षेत्र के तनाव में वृद्धि का कारण बनेगा।

बहरहाल इस समय अमेरिका को बहुत कठिन परिस्थितियों का सामना है और अतीत के विपरीत इस समय अमेरिका के समीपी घटक भी ट्रंप के फैसले के खिलाफ हो गये हैं और वे उनके फैसले के विरुद्ध एकजुट होकर डट गये हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका अलग- थलग पड़ता जा रहा है।

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