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Saturday 25th of January 2025
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कुरआन मे प्रार्थना

कुरआन मे प्रार्थना

लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान

 

किताब का नाम: शरहे प्रार्थनाए कुमैल

 

अनंत अनुग्रह का सोत्र, बे बीच गरिमा का सागर, मार्ग दर्शन का स्थान उपलब्ध कराने वाला, ज्ञान और हिकमत की वर्षा करने वाला परमेश्वर क़ुरआन मे कहता है

قُل مَا یَعبََؤُا بَکُم رَبِّی لَولَا دُعَاؤُکُم (सूराए फ़ुरक़ान, 25, आयत 77)

हे दया के पैगंबर मुष्यो से कह दो कि अगर तुम्हारी प्रार्थना ना होती तो मरमेश्वर तुम्हारी परवा भी ना करता

प्रार्थना, ईश्वर की ओर ध्यान आर्कषित करने और ईश्वरीय दया के अवशेषण की पृष्ठभूमि प्रार्थना करने वाले की ओर है।सैद्धांतिक बल क्रूरता को मानव जीवन के शिविर से उखाड़ फेकने के साथ प्रार्थी के लिए प्रसन्नता एवम आन्नद को फैला देता है।

लोकप्रियो का प्रेमी, प्रेमियो का प्रेमी, ज़ाकेरीन का अनीस(सहायक),सेवको का सहायक कुरआन मे कहता है:

وَ اِذَا سَأَلَکَ عِبَادِی عَنِّی فَاَنِّی قَرَیبٌ اُجِیبُ دَعوَۃَ ألدِّعِ اِذَا دَعَانَ(सूराए बक़रा, 2, आयत 186)

जिस समय मेरे सेवक तुझ से मेरे बारे मे प्रश्न करे, (उत्तर यह है) निश्चित रूप से मै नज़दीक हूँ प्रार्थी की आवाज़ सुनता हूँ जब भी वह प्रार्थना करता है।

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